जिग्नेश मेवानी समेत 12 आरोपियों को तीन महीने की जेल, कोर्ट ने 2017 की रैली को लेकर सुनाई सजा

बिना इजाजत रैली निकालने का था आरोप, ऊना में कोड़े मारने की घटना पर मना रहे थे पहली बरसी

Updated: May 05, 2022, 11:15 AM IST

मेहसाणा। विधायक जिग्नेश मेवानी पर फिर मुसीबत आन पड़ी है। गुजरात की एक अदालत ने जिग्नेश मेवानी और एनसीपी नेता रेशमा पटेल समेत 12 आरोपियों को तीन महीने जेल की सजा सुनाई है। अभी कुछ दिन पहले ही दो मामलों में असम पुलिस ने मेवानी को गिरफ्तार किया था। अब मेहसाणा कोर्ट ने 2017 की स्वतंत्रता मार्च रैली को लेकर यह सजा सुनाई है।

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इनपर आरोप था कि इन्होंने बिना इजाजत के स्वतंत्रता मार्च निकाला था। मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे ए परमार ने कहा कि रैली करना अपराध नहीं है, लेकिन बिना इजाजत के रैली करना अपराध है। अदालत ने कहा कि कोर्ट के आदेश की अवज्ञा को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

इस मामले में आरोपी एनसीपी नेता रेशमा पटेल ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन लोगों के लिए न्याय की मांग करना भी भाजपा के शासन में अपराध हो गया है। भाजपा कानून का झूठा डर दिखाकर हमारी आवाज नहीं दबा सकती है। हम लोगों को न्याय दिलाने के लिए हमेशा लड़ते रहेंगे। 

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दरअसल ये मामला 12 जुलाई 2017 का है। उस समय जिग्नेश मेवानी, तत्कालीन छात्र नेता कन्हैया कुमार और अन्य लोग ऊना में कोड़े मारने की घटना की पहली बरसी मना रहे थे, उन्होंने बरसी पर फ्रीडम मार्च निकाला था। 

मेहसाणा पुलिस ने जिग्नेश मेवानी के मार्च निकलने की दी गई अनुमति को बाद में रद्द कर दिया था। जिसके बाद मार्च निकाला गया और पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 143 के तहत गैरकानूनी मार्च निकालने के लिए मुकदमा दर्ज कर लिया था। 

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बता दें कि इससे पहले जिग्नेश मेवानी को नरेंद्र मोदी पर ट्वीट करने और पुलिस कर्मी पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में मेवानी को असम की अदालत ने 29 अप्रैल को जमानत देते हुए असम पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि मनमानी नहीं रोकी गई तो हमारा राज्य पुलिस स्टेट बन जायेगा।