देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस नुतालपति वेंकट रमना, जस्टिस एसए बोबडे की लेंगे जगह

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के नए जीफ जस्टिस नुतालपति वेंकट रमना को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई, पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की मौजूदगी में हुआ शपथ ग्रहण, जस्टिस रमना का कार्यकाल लगभग 16 महीने होगा

Updated: Apr 24, 2021, 07:08 AM IST

Photo courtesy: twitter/ ani
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दिल्ली। जस्टिस एन वी रमना देश के 48वीं मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुबह 11 बजे उन्हें शपथ दिलाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ जज मौजूद थे। जस्टिस रमना का कार्यकाल करीब 16 महीने का होगा। वे 26 अगस्त 2022 तक इस पद पर रहेंगे। वे न्यायमूर्ति एसए बोबडे की जगह लेंगे। दरअसल शुक्रवार को एसए बोबडे मुख्य न्यायाधीश पद से रिटायर हुए हैं। उनकी जगह जस्टिस एनवी रमन्ना नियुक्त किया गया है।

 आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में जस्टिस रमना का जन्म 27 अगस्त 1957 को हुआ था। वे अपने शुरुआती दौर में तटीय आंध्र और रायलसीमा के लोगों के अधिकारों के लिए चलाए जा रहे जय आंध्र आंदोलन में हिस्सा लेते थे। वे कॉलेज के समय छात्र राजनीति में रहे। उन्होंने पत्रकारिता में भी हाथ आजमाया।

साल 1983 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की। जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल और अलावा केंद्र सरकार के कई विभागों के वकील रह चुके हैं। साल 2000 में वे आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज बने। वे दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रहे चुके हैं। इसक बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए गए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में वे 26 अगस्त 2022 तक करीब 16 महीने तक कार्य करेंगे।

जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंचों ने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। इन्हीं की अध्यक्षा वाली 5 जजों की बेंच ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषियों की फांसी का रास्ता साफ किया था। इनकी बेंच ने दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज की थी। इसके दोषियों को फांसी दी गई थी। वहीं जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ही तत्कालीन महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़णवीस सरकार को 26 नवंबर 2019 को विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था। जिसके बाद महाराष्ट्र में फड़णवीस सरकार गिर गई थी।

वहीं उनके सबसे ज्यादा चर्चा में रहे फैसलों में जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बहाली भी शामिल है। इन्हीं की अध्यक्षता वाली बेंच ने देश के सांसदों और विधायकों के विरुद्ध पेंडिंग केसों की मुकदमों जल्द सुनवाई के लिए राज्यों में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश दिया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को RTI की सीमा में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी सदस्य रह चुके हैं।