अब कर्नाटक के डॉक्टर भी Covaxin लगवाने को तैयार नहीं, RML के डॉक्टर पहले ही कर चुके हैं विरोध

Corona Vaccination: कर्नाटक रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा Covaxin का ट्रायल पूरा नहीं हुआ, ऐसे में स्वास्थ्यकर्मियों पर इसका परीक्षण क्यों, अपनी मर्जी का टीका लगवाने का मिलना चाहिए विकल्प

Updated: Jan 19, 2021, 01:29 PM IST

Photo Courtesy : New Indian Express
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नई दिल्ली। भारत बायोटेक द्वारा निर्मित Covaxin को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। कर्नाटक के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हेल्थकेयर वर्कर्स को कोवैक्सीन का टीका लगाए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई है। एसोसिएशन की मांग है कि स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाने से पहले दो स्वीकृत वैक्सीन में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाना चाहिए। दरअसल एसोसिएशन को भारत बायोटेक के मुकाबले ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्रेजेनेका द्वारा निर्मित कोविशील्ड पर ज़्यादा भरोसा है। इससे पहले दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेज़िडेंट डॉक्टर्स भी कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड का टीका लगाए जाने की मांग कर चुके हैं।

Covaxin को लेकर इतना विरोध क्यों है 

कर्नाटक रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत सरकार ने दो वैक्सीन Covaxin और Covishield को अप्रूवल दिया है। Covaxin का तीसरे फेज़ का ट्रायल भी अब तक पूरा हुआ नहीं है। ऐसे में इस वैक्सीन पर उन्हें पूरा भरोसा नहीं है। एसोसिएशन का कहना है कि ऐसा लगता है कि कोवैक्सीन का स्वास्थ्य कर्मियों पर ही ट्रायल किया जा रहा है। एसोसिएशन ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगवाते समय विकल्प चुनने की छूट दी जानी चाहिए। यह उनके ऊपर छोड़ना चाहिए कि वे कौन सी वैक्सीन से टीकाकरण करवाना चाहते हैं। 

 

 

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दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने तो वैक्सीनेशन के पहले दिन ही Covaxin का ट्रायल किये जाने से इनकार कर दिया था। RML के रेजिडेंट डॉक्टरों ने बाकायदा मेडिकल सुपरिटेंडेंट को एक साझा पत्र लिखकर कहा था कि अस्पताल में Covishield की जगह Covaxin का टीका लगाया जा रहा है। चूंकि Covaxin का ट्रायल भी अब तक पूरा नहीं हुा है, ऐसे में अस्पताल के डॉक्टरों को इस वैक्सीन को लेकर काफी आशंकाएं हैं। टीकों के बारे में बेहतर समझ रखने वाले डॉक्टरों की तरफ से कोवैक्सीन पर सवाल उठाए जाने के बाद आम लोगों में भी इसे लेकर आशंकाएं और बढ़ने का अंदेशा है। 

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कोवैक्सीन वही टीका है, जिसके परीक्षण में शामिल एक गरीब मज़दूर की भोपाल में मौत हो गई थी। मृतक के परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि उसकी मौत वैक्सीन लगाने की वजह से ही हुई है। उस वक़्त सरकार से जुड़े तमाम मंत्रियों, नेताओं और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अधिकारियों ने दावा किया था कि कोवैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन पहले दिल्ली के के एक बेहद प्रतिष्ठित अस्पताल के डॉक्टरों ने ख़ुद कोवैक्सीन लगवाने पर एतराज़ जाहिर किया और अब कर्नाटक के रेजिडेंट डॉक्टर भी इसका विरोध कर रहे हैं, तो इस पर आम लोगों का संदेह और बढ़ने की पूरी आशंका है। देश के सबसे अहम चिकित्सा संस्थान AIIMS के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी कोवैक्सीन को मंज़ूरी दिए जाने के फ़ौरन बाद यही कहा था कि ज़्यादाकर लोगों को कोविशील्ड ही लगाई जानी चाहिए। उन्होंने तब कहा था कि कोवैक्सीन का इस्तेमाल बैकअप के तौर पर किए जाने की संभावना है।

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कांग्रेस से लेकर वैज्ञानिक तक उठा चुके हैं Covaxin पर सवाल 

Covaxin को आपातकालीन मंज़ूरी दिए जाने के फैसले पर कांग्रेस पार्टी के कई नेता सवाल उठा चुके हैं। शशि थरूर, जय राम रमेश, दिग्विजय सिंह, मनीष तिवारी सरीखे नेता बिना ट्रायल पूरा हुए वैक्सीन की मंज़ूरी पर प्रश्न चिन्ह लगा चुके हैं। शशि थरूर तो यहां तक कह चुके हैं कि बिना ट्रायल को पूरा किए वैक्सीनेशन की अनुमति देना खतरे से खाली नहीं है। कांग्रेस नेताओं के अलावा वैक्सीन एक्सपर्ट गगनदीप कांग सहित देश के जाने माने वैज्ञानिक भी ट्रायल डेटा को सार्वजनिक करने की मांग कर चुके हैं।