कुणाल कामरा पर चलेगा सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का केस, अटॉर्नी जनरल ने दी सहमति

अटॉर्नी जनरल ने अर्णब गोस्वामी के वकील से शिकायत मिलने के 24 घंटे से भी कम वक़्त में केस चलाने की इजाज़त दे दी, कुणाल ने अर्णब को ज़मानत दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ ट्वीट किए थे

Updated: Nov 13, 2020, 03:22 AM IST

Photo Courtesy: India Legal
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नई दिल्ली। स्टैंड अप कॉमेडियन और व्यंग्य कलाकार कुणाल कामरा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में आपराधिक केस चलाया जाएगा। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी है। कुणाल कामरा ने अर्णब गोस्वामी की अर्जी पर अर्जेंट सुनवाई और अंतरिम जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ट्विटर पर टिप्पणियां की हैं। सुप्रीम कोर्ट और उसके जज पर की गई इन टिप्पणियों को अटॉर्नी जनरल ने अवमानना का केस चलाने लायक माना है।

हिंदी अखबार अमर उजाला के मुताबिक अर्णब गोस्वामी के वकील रिज़वान सिद्दीकी ने कुणाल कामरा के ट्वीट्स की शिकायत करते हुए अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखा था, जिसमें कामरा पर अवमानना का केस चलाने को कहा गया था। एनडीटीवी के मुताबिक अटॉर्नी जनरल को कानून के एक छात्र और दो वकीलों ने भी इस बारे में चिट्ठी लिखी थी। जिन पर अटॉर्नी जनरल ने चौबीस घंटे से भी कम समय में फैसला लेकर कामरा के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की इजाजत दे ही।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कुणाल कामरा के ट्वीट को बेहद आपत्तिजनक बताते हुए कहा है कि आजकल लोग सुप्रीम कोर्ट और उससे जजों की असभ्य ढंग से निंदा करने लगे हैं। लोग समझते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर वह सीधे सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों की निंदा कर सकते हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि लोग समझ लें कि इस तरह की टिप्पणियां करने पर उन्हें सज़ा मिलेगी।

क्या कहा था कुणाल कामरा ने

अर्णब गोस्वामी की अंतरिम जमानत के बाद कुणाल कामरा ने ट्वीट करते हुए लिखा था,’जिस गति से सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को ऑपरेट करती है, ऐसी परिस्थिति में कोर्ट में महात्मा गांधी की फोटो के बजाय हरीश साल्वे की तस्वीर लगा देनी चाहिए।' अपने एक अन्य ट्वीट में कामरा ने जस्टिस चंद्रचूड़ पर तीखी टिप्पणी करते हुए उनकी तुलना एक फ्लाइट अटेंडेंट से कर दी थी। 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले के खिलाफ टिप्पणी करने पर कुणाल कामरा पर अवमानना का केस चलाने का फैसला हुआ है, उसी मामले में बहस के दौरान खुद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में एक महिला के खिलाफ महज ट्वीट करने पर केस कर दिया गया, जो ठीक नहीं है। उन्होंने ये भी कहा था कि संवैधानिक अदालत होने के नाते अगर सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेगा तो कौन करेगा। इतना ही नहीं, अदालत ने अर्णब के विरोधियों को ये सलाह भी दी थी कि अगर आपको उनका चैनल अच्छा नहीं लगता तो उसे मत देखिए, नज़रअंदाज़ कीजिए। ये देखने वाली बात होगी कि कुणाल कामरा के खिलाफ केस चलाते समय सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों की मिसाल दी जाएगी या नहीं?