जब नीतीश बोले थे मिट्टी में मिल जाऊंगा, बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा

Bihar Elections: लालू यादव ने नीतीश कुमार का पुराना वीडियो साझा किया, जिसमें नीतीश बोल रहे हैं अब वापस बीजेपी के साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता

Updated: Nov 05, 2020, 10:45 PM IST

Photo Courtesy: National Herald
Photo Courtesy: National Herald

पटना। बिहार में चुनाव अब अपने आखिरी दौर में पहुँच चुका है। लिहाज़ा एक दूसरे पर राजनीतिक हमले अब और तेज़ होने लगे हैं। इसी क्रम में राजेडी नेता लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार का एक पुराना वीडियो साझा करते हुए कहा है, "डायलॉग सुनिए डायलॉग!"  दरअसल नीतीश इस वीडियो में कह रहे हैं कि कुछ भी हो जाए वे बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। लालू यादव ने नीतीश पर हमला बोलते हुए कहा कि आखिर कोई इंसान सार्वजनिक जीवन में इतना सिद्धांतहीन, नीति विहीन, नीयत विहीन, नैतिकता विहीन और विचारहीन कैसे हो सकता है? 

लालू यादव ने जो वीडियो साझा किया है वो उस समय का है जब नीतीश ने बीजेपी से अपनी राहें जुदा कर ली थीं। नीतीश बिहार विधानसभा में बोलते हुए सुनाई पड़ रहे हैं, 'अब इसके बाद किसी भी परिस्थिति में लौटकर जाने का प्रश्न पैदा नहीं होता है। हम रहें या मिट्टी में मिल जाएं, आप लोगों के साथ अब कभी कोई समझौता भविष्य में नहीं होगा। असंभव, अब यह संभव ही नहीं है, नामुमकिन। अब वो चैप्टर खत्म हो चुका क्योंकि उस भरोसे को आपने तोड़ा है।

बता दें कि नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने की संभावनाओं को देखते हुए बीजेपी से 2013 में गठबंधन तोड़ लिया था। बीजेपी से अलग होने के बाद लोकसभा चुनाव तक नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने रहे। लोकसभा चुनाव जेडीयू ने अकेले दम पर लड़ा। चुनाव में नीतीश को मुंह की खानी पड़ी। नीतीश कुमार की पार्टी को 40 में केवल 2 सीटों पर ही जीत मिल सकी। जबकि बीजेपी एलजेपी गठबंधन को 28 सीटें मिली।

चुनावों में पार्टी के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद नीतीश कुमार ने नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया। इसके बाद उन्होंने जीतन राम मांझी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया। लेकिन कुछ ही समय में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद छोड़ने पर पछतावा होने लगा। दरअसल जल्द ही बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले थे और नीतीश कुमार राज्य में जीतन राम मांझी द्वारा एक के बाद एक की जा रही घोषणाओं को पचा नहीं पा रहे थे। नीतीश को लगा कि मांझी को मुख्यमंत्री बनाने से उनका दांव उल्टा पड़ गया है। लिहाज़ा मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर और पार्टी से बर्खास्त कर वे खुद मुख्यमंत्री के पद पर काबिज़ हो गए।

लेकिन ठीक एक साल पहले लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से हार का स्वाद चखने वाले नीतीश को पता था कि अकेले दम पर सत्ता में वापसी करना उनके लिए आसान नहीं होगा। लिहाज़ा वे अपने सबसे पुराने दोस्त से दुश्मन में तब्दील हुए लालू यादव के पास पहुँच गए। 2015 के चुनावों में नीतीश ने आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। आरजेडी को सबसे ज़्यादा 80 सीटें मिली। नीतीश की पार्टी को 71 सीटें मिली। दोनों ही पार्टियों ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि 41 सीटों पर  चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं। आरजेडी से कम सीटें लाने के बावजूद तय योजना के अनुसार नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री बने। लेकिन 2017 में नीतीश कुमार ने आरजेडी-कांग्रेस के साथ किए गए चुनाव पूर्व गठबंधन को रातों-रात गच्चा दे दिया और एक बार फिर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।