संसद भवन के उद्घाटन को राज्याभिषेक समझ रहे हैं नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी का पीएम मोदी सीधा हमला

राहुल गांधी ने इससे पहले कहा था कि न तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराना और न ही उन्हें समारोह में आमंत्रित करना देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।

Updated: May 28, 2023, 05:25 PM IST

नई दिल्ली। देशभर में चौतरफा विरोध के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वयं आज नए संसद भवन का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक सेंगोल संसद भवन में स्थापित किया। देश की 21 प्रमुख विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था। उद्घाटन समारोह के बाद अब पीएम मोदी चौतरफा घिर गए हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए पीएम मोदी पर सीधा हमला किया है। उन्होंने ट्वीट किया, "संसद जनता की आवाज है। प्रधानमंत्री ससंद के उद्घाटन को राज्याभिषेक समझ रहे हैं।" एक अन्य ट्वीट में राहुल गांधी ने महिला पहलवानों से बर्बरता की घटना का भर्त्सना करते हुए लिखा कि, "राज्याभिषेक पूरा हुआ - 'अहंकारी राजा' सड़कों पर कुचल रहा जनता की आवाज़।"

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, "नई संसद के उद्घाटन का हक़ राष्ट्रपति जी से छीना, सड़कों पर महिला खिलाड़ियों को तानाशाही बल से पीटा! BJP-RSS के सत्ताधीशों के 3 झूठ अब देश के सामने बे-पर्दा हैं: 1. लोकतंत्र, 2. राष्ट्रवाद, 3. बेटी बचाओ। याद रहे मोदी जी, लोकतंत्र केवल इमारतों से नहीं, जनता की आवाज़ से चलता है।"

देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा कि, "मणिपुर में हिंसा भड़के तीन सप्ताह से अधिक समय बीत गया। हिंसा में 75 लोगों की मौत हो गई। लेकिन माननीय पीएम ने हिंसा के बारे में अब तक एक शब्द नहीं बोला है। इसके अलावा न तो उन्होंने शांति बनाने की अपील की न ही सद्भाव की अपील की है। बस अपने हाथों में सेंगोल ले रखा है।"

बता दें कि कांग्रेस भी उन 21 दलों में शामिल है जिन्होंने भी देश की उन 20 पार्टियों में शामिल है, जिन्होंने नई संसद के उद्घाटन राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा कराए जाने की वकालत की थी। इससे पहले राहुल गांधी ने कहा था कि न तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराना और न ही उन्हें समारोह में आमंत्रित करना देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद अहंकार की ईंटों से नहीं बल्कि संवैधानिक मूल्यों से बनी है।