पीएम मोदी ने कृषि में निजी क्षेत्र का रोल बढ़ाने पर दिया ज़ोर, किसान आंदोलन पर कुछ नहीं बोले

प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि बजट से जुड़े एक वेबिनार में कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग का किया बचाव, कहा, कृषि क्षेत्र में हम जो बदलाव कर रहे हैं वे 20-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे

Updated: Mar 01, 2021, 12:05 PM IST

Photo Courtesy : Indian Express
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने आज कृषि क्षेत्र की चर्चा तो की, लेकिन किसानों के आंदोलन पर एक शब्द नहीं बोले। उल्टे उनकी बातों से यही लगा कि उनकी सरकार नए कानूनों समेत कृषि क्षेत्र में किए जा रहे बदलावों को और तेज़ी से आगे बढ़ाने की नीति पर ही अड़ी हुई है। मोदी ने कृषि क्षेत्र में बजट से जुड़े एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में निजी सेक्टर की भागीदारी बढ़ाने का समय आ गया है। इसके साथ ही मोदी ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का भी बचाव किया।

मोदी ने सोमवार को वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास में अब तक ज़्यादातर योगदान पब्लिक सेक्टर का रहा है, लेकिन अब समय आ गया है जब हमें कृषि क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को बढ़ाना चाहिए। मोदी ने कहा कि हमें कृषि क्षेत्र में नए स्टार्ट अप्स लाने पर विचार करना चाहिए। कोरोना काल में प्राइवेट सेक्टर के स्टार्ट अप्स ने लोगों तक फलों और सब्ज़ियों की पहुँच कितनी अच्छी तरह सुनिश्चित की थी, इसके हम गवाह हैं।

मोदी ने कहा कि 21 वीं सदी में भारत को फ़ूड प्रोसेसिंग क्रान्ति और वैल्यू एडिशन की आवश्यकता है। इतना ही नहीं मोदी ने कहा कि ये सभी काम दो तीन दशक पहले ही कर लिए गए होते तो बेहतर होता। लेकिन जो पहले न हो सका, उसकी अब भरपाई करना बेहद ज़रूरी है। इसके साथ ही मोदी ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हमारे देश में काफी पहले से होती रही है। अब उसे और बेहतर ढंग से लागू करने की जरूरत है। मोदी की बातों से तो ऐसा ही लगा कि तीन महीने से ज्यादा समय से जारी किसान आंदोलन के बावजूद नए कृषि कानूनों के मसले पर उनकी सरकार के तेवर ज़रा भी नर्म नहीं पड़े हैं।