लोकसभा में पेश हुआ नारी शक्ति वंदन बिल, कानून बनने के बाद लोकसभा में 181 होगी महिला सांसदों की संख्या

नारी शक्ति वंदन बिल के नाम से जाना जाएगा महिला आरक्षण बिल, लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने किया पेश, लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की कवायद

Updated: Sep 19, 2023, 03:54 PM IST

नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही आज नए संसद भवन में हुई। नए संसद भवन में आज पहला दिन था। इस मौके पर केंद्र सरकार ने नारी शक्ति वंदन बिल लोकसभा में पेश किया। केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण बिल का नाम नारी शक्ति वंदन बिल किया है। इस बिल के कानून बनते ही संसद और राज्यों के विधानसभा में महिलाओं की 33 फीसदी भागीदारी होगी।

इस बिल को कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में पेश किया.उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। अभी इस बिल पर कल चर्चा की जाएगी।पीएम मोदी ने इस बिल को लेकर कहा कि इस बिल से लोकतंत्र मजबूत होगा और लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। वहीं, सोनिया गांधी ने कहा कि यह अपना बिल है, कांग्रेस ने ही इसे लाया है।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पेश किया। इसमें SC, ST के लिए एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान है। यह कोटा राज्यसभा अथवा राज्यों की विधान परिषदों में भी लागू नहीं किया जाएगा।
कल महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के बाद इसे फिर पारित किया जाएगा। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल जल्द से लागू करने पर जोर दिया गया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने भी महिला आरक्षण बिल को जल्द से जल्द लागू करने की मांग उठाई थी। वहीं सरकार भी इस बिल को जल्द से जल्द लागू करने पर जोर दे रही है।

नारी शक्ति वंदन बिल में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान है, किन OBC को नारी शक्ति वंदन अधिनियम में जगह नहीं दी गई है। क्योंकि संविधान में भी वह विधायिकाओं के लिए नहीं दिया गया। हालांकि, कांग्रेस, सपा व अन्य विपक्षी दलों ने एक बार फिर से कोटे के भीतर कोटे की मांग उठाई है। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि इसमें ओबीसी कोटा भी होना चाहिए था।

बीएसपी प्रमुख मायावती ने इस बिल का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह बिल लंबे समय से अटका हुआ था। अगर 33 की जगह 50 फीसदी आरक्षण महिलाओं को दिया जाता तो वह इसका स्वागत करतीं। दोनों सदनों से इस बिल के पास होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के साथ ही संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण तय हो जाएगा। यह बिल कानून बनने के बाद 15 साल तक लागू रहेगा। हालांकि आरक्षण की समयसीमा बढ़ाई जा सकती है। बिल को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कानून बनने पर संसद में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी।