नया शब्द आ गया है हायर एंड फायर: INTUC के अधिवेशन में दिग्विजय सिंह ने लेबर राइट्स को लेकर जताई चिंता

आज देश के सामने हर प्रकार का संकट है, आर्थिक संकट है, सामाजिक संकट है, संविधान और लोकतंत्र के लिए संकट है, गरीब और गरीब होता जा रहा अमीर और अमीर होता जा रहा है: दिग्विजय सिंह

Updated: Feb 22, 2023, 03:12 PM IST

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में बुधवार को INTUC (इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस) के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरुआत हुई। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद ने देश में कमजोर हो रहे लेबर राइट्स को लेकर चिंता जताई। उन्होंने इंटक मेंबर्स को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश के सामने हर प्रकार का संकट है... आर्थिक संकट है, सामाजिक संकट है, संविधान और लोकतंत्र के लिए भी संकट है।

देश के सभी राज्यों से आए इंटक मेंबर्स को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, "आज यहां कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विस्तार से भारत की अर्थव्यवस्था और मजदूरों के हित की बात कही है। देश में किस प्रकार से धीरे धीरे मजदूरों का हक छीना जा रहा है। किस प्रकार से देश में नौकरियां समाप्त की जा रही है। सिर्फ कॉरपोरेट सेक्टर को ही आगे बढ़ाया जा रहा है।"

सिंह ने कहा, "आजादी से लेकर आजतक और ब्रिटिश शासन के समय भी मजदूरों के हक के लिए नियम कानून थे उन्हें तोड़कर मजदूरों का हक छीना जा रहा है। साल 2015 के बाद से आजतक... पिछले आठ वर्षों में एक बार भी इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस नहीं हुई है। मजदूरों के हक में जो 44 कानून थे उन्हें समाप्त कर दिया गया।
बिना मजदूरों से चर्चा और संपर्क किए चार लेबर कोड लाए गए। इन चार लेबर कोड का स्वयं बीजेपी के भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने विरोध किया।"

सिंह ने आगे कहा, "राहुल गांधी ने साल 2015 में ही कहा था कि ये सूट-बूट की सरकार है। बड़े लोगों की सरकार है। आज इस सरकार की नीयत और नीतियों से यह प्रमाणित होता है। मजदूरों की गाढ़ी कमाई का पैसा बड़े लोगों के जेब में डाला जा रहा है। हमारे समय में कॉरपोरेट से डायरेक्ट टैक्स ज्यादा वसूल किया जाता था और आम आदमी से इनडायरेक्ट टैक्स कम वसूला जाता था। लेकिन आज इसका उल्टा हो गया है। आम लोगों से ज्यादा टैक्स और कॉरपोरेट से कम टैक्स वसूला जा रहा है। नतीजतन गरीब और गरीब होता जा रहा। अमीर और अमीर होता जा रहा है।"

सिंह ने आगे कहा, "मजदूरों से उनके हक छीने जा रहे हैं। युवाओं से नौकरियां छीनी जा रही है। नोटबंदी के कारण करोड़ो रोजगार समाप्त हो गए। कोविड के समय प्रवासी मजदूरों की परेशानियों को लोगों ने देखा है महसूस किया है। आज इन चुनौतियों से हम सबको मिलकर लड़ाई लड़नी है। मैं इस बात का दाद दूंगा की भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर सभी ट्रेड यूनियन संघों ने एकजुट होकर मजबूती से लड़ाई लड़ी है। ये एक सुभ संकेत है। ये न सिर्फ मजदूरों के लिए शुभ संकेत है बल्कि देश की राजनीतिक व्यवस्था के लिए भी शुभ संकेत है।"

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राज्यसभा सांसद ने आगे कहा, "महात्मा गांधी ने भी इस बात का उल्लेख किया था की मालिक और मजदूर के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए। लेकिन आज धीरे धीरे मजदूरों का अधिकार समाप्त किया जा रहा है। एक नया शब्द आ गया है "हायर एंड फायर"। आप किसी को रोजगार दीजिए और जब मन चाहे निकाल दीजिए। आज जिस तरह से पब्लिक सेक्टर समाप्त की जा रहे हैं। भोपाल स्थिति BHEL के रेगुलर पोस्ट समाप्त किए जा रहे हैं। वहां भी कॉन्ट्रैक्ट लेबर लगाए जा रहे हैं। संगठित कामगारों की संख्या भी धीरे धीरे कम होती जा रही है। जीतने मजदूर आज देश में काम कर रहे हैं उसमें सिर्फ आठ फीसदी ही संगठित क्षेत्र में हैं जहां की ट्रेड यूनियन का दबदबा है। आज सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने यह है कि किस तरह से असंगठित क्षेत्र में मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ा जाए। किस तरह से असंगठित क्षेत्रों में मजदूरों के लिए संगठन खड़ा किया जाए।"

सिंह ने कहा, "आज इंटक विश्व का सबसे बड़ा मजदूर संगठन इंटक का हो चुका है। जिसमें 3 करोड़ 33 लाख मजदूर रजिस्टर्ड हैं। लेकिन भारत सरकार के लेबर मिनिस्ट्री ने यह आंकड़े पब्लिक नहीं किए हैं।
श्रम मंत्री मुझे निरंतर विश्वास दिलाते रहे की हम रिपोर्ट सार्वजनिक करेंगे। चूंकि इंटक ने ज्यादा मेंबरशिप कर ली है इसलिए केंद्र सरकार इसे सार्वजनिक नहीं कर रही और हमारा हक मारा जा रहा है।"

सिंह ने आगे कहा, "दोस्तों विनिवेश और एकमुश्त बिक्री में फर्क है। कांग्रेस सरकार में एकमुश्त बिक्री नहीं हुआ है सिर्फ विनिवेश हुआ। यहां एकमुश्त बिक्री से मैनेजमेंट भी निजी हाथों में जा रहा है जिससे लोगों के नौकरियां भी समाप्त की जा रही है। एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए जो आरक्षण था उसे भी समाप्त किया जा रहा है। पीएसयू के जितने वर्कर्स हैं उन्हें चिंता है की कब उसे निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा। साथियों मैं इस बात का उल्लेख भी करना चाहता हूं की देश में OPS वापस लागू होना चाहिए। हाल में BHEL के लोग मुझे मिले थे। उन्होंने बताया कि जिनकी लाख दो लाख तनख्वाह थी ईपीएफ से किसी को हजार रुपए किसी को डेढ़ हजार रुपए पेंशन के मिल रहे हैं। पेंशन मजाक हो चुका है। 

सिंह ने आगे कहा, "ट्रेड यूनियन के पंजीयन का जो हक था उसे भी छीन लिया गया। पहले अनिवार्य था की कोई भी ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रेशन करने जाता है तो रजिस्ट्रार ऑफ ट्रेड यूनियन की बाध्यता है की उसे रजिस्टर किया जाए। अब उसे हटा दिया गया है। अब आप SDM को आवेदन दीजिए। उसके विवेक पर निर्भर है कि वो रजिस्टर करे या न करे। इतना बड़ा प्रहार किसी भी सरकार और देश में नहीं हो सकता। यह मजदूरों के मौलिक अधिकारों का हनन है जिसे अंतरराष्ट्रीय लेबर कोर्ट में उठाया जाना चाहिए।" 

सिंह ने कहा, "इंटक को असंगठित क्षेत्र पर ध्यान देने की जरूरत है। हमारे आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी, उषा वर्कर्स... उन्हें भी संगठित करने की आवश्यकता है। महिलाओं की प्रतिनिधित्व बढ़ाने की की आअवह्यक है। नौजवानों को भी संगठित करने की आवश्यकता है। आपके इंटक में यूथ विंग है, महिला विंग है, उन्हें और सक्रिय करने की आवश्यकता है। नए लोगों को जबतक आप मजदूरों को हित की लड़ाई में नहीं जोड़ेंगे तो इस देश के 40 करोड़ मजदूर को आगे कैसे ला पाएंगे। मुझे उम्मीद है कि यहां से मजदूर अपने घर वापस जाएंगे तो नई ऊर्जा के साथ जाएंगे और राहुल गांधी का संदेश जन जन तक पहुंचाएंगे।"