न्यूजीलैंड दूतावास ने मांगी थी कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी से मदद, कांग्रेस नेता ने पहुंचाए ऑक्सीजन सिलेंडर

आज सुबह न्यूजीलैंड दूतावास ने किया था ट्वीट, कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी से मांगी थी मदद, बाद में अचानक कर लिया था ट्वीट डिलीट

Updated: May 02, 2021, 06:58 AM IST

Photo Courtesy: Telegraph
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नई दिल्ली। आज सुबह न्यूजीलैंड दूतावास को जब ऑक्सीजन की ज़रूरत महसूस हुई तब दूतावास ने भारत सरकार से मदद मांगने के बनिस्बत इस समय लोगों की भरपूर मदद कर रहे यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी से मदद मांगी। न्यूजीलैंड दूतावास ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर सुबह में ट्वीट किया कि श्रीनिवास बीवी क्या आप न्यूजीलैंड दूतावास को ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करा सकते हैं? इसके बाद कांग्रेस नेता ने न्यूजीलैंड दूतावास में ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद पहुंचा दी। 

हालांकि न्यूजीलैंड दूतावास के ट्वीट के बाद विवाद बढ़ गया था। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे थे कि भारत की सरकार की लाचारी और बेबसी की बानगी यह है कि न्यूजीलैंड दूतावास को भी भारत सरकार पर भरोसा नहीं है। इसलिए दूतावास कांग्रेस नेता से मदद मांग रहा है। लेकिन यह विवाद तब और बढ़ गया जब न्यूजीलैंड दूतावास ने अपना ट्वीट डिलीट कर लिया । सोशल मीडिया पर लोग यह आरोप लगाने लगे कि न्यूजीलैंड दूतावास ने दबाव में यह ट्वीट डिलीट कर लिया है। 

बाद में न्यूजीलैंड दूतावास ने एक और ट्वीट किया। जिसमें दूतावास ने बताया कि वो ट्वीट गलती से हो गया था। लेकिन कांग्रेस नेता बीवी श्रीनिवास ने जब ऑक्सीजन सिलेंडर न्यूजीलैंड दूतावास पहुंचाए तब दूतावास ने कांग्रेस नेता की मदद मिलने पर दूतावास के दरवाज़े खोल लिए। श्रीनिवास बीवी ने खुद अपने ट्विटर हैंडल पर बताया कि न्यूजीलैंड दूतावास ने ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराने के लिए उनका बहुत आभार व्यक्त किया। क्योंकि दूतावास के अंदर मरीज़ बेहद खराब हालात में थे। 

इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक बार फिर केंद्र सरकार निशाने पर है। सोशल मीडिया पर यह आरोप और दावा दोनों एक साथ किया जाना शुरू हो गया है कि न्यूजीलैंड दूतावास के ट्वीट को दबाव में डिलीट कराया गया था।

इससे पहले श्रीनिवास बीवी ने फिलीपींस दूतावास को भी ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराए थे। तब कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि मैं यूथ कांग्रेस के प्रयासों के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। लेकिन एक भारत नागरिक के तौर पर मुझे साथ ही आश्चर्य इस बात का है कि विदेशी दूतावासों को एक विपक्षी पार्टी की यूथ विंग से मदद मांगनी पड़ रही है।