शीतकालीन सत्र का बहिष्कार कर सकता है विपक्ष, कांग्रेस के नेतृत्व में आज बनेगी रणनीति

12 सांसदों के निलंबन के बाद कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी कर इसे अधिनायकवादी फैसला बताया, विपक्ष की बैठक से टीएमसी ने बनाया दूरी

Updated: Nov 30, 2021, 04:28 AM IST

नई दिल्ली। कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दल शीतकालीन सत्र का बहिष्कार करने का फैसला कर सकते हैं। विपक्ष कृषि कानून वापसी बिल बिना चर्चा के पास करने और राज्यसभा से 12 सांसदों को निलंबित करने के मुद्दे यह कदम उठा सकता है। कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों ने इस बाबत आज एक बैठक बुलाई है। बैठक के बाद ही विपक्ष आगे की रणनीति तय करेगा।

जानकारी के मुताबिक विपक्षी दल संसद भवन परिसर में प्रदर्शन करने और दोनों सदनों की कार्यवाही को बाधित करने का भी मन बना रहे हैं। हालांकि तमाम विरोध के तरीकों आज ही आखिरी फैसला होगा। खास बात ये है कि टीएमसी ने विपक्ष के इस बैठक से दूरी बना ली है जबकि खुद टीएमसी के दो सांसद निलंबित हुए हैं। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि पार्टी इसपर अलग से बैठक कर फैसला लेगी।

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मीडिया रिपोर्ट्स में विपक्षी रणनीतिकारों के हवाले से बताया जा रहा है कि पूरे शीतकालीन सत्र का बहिष्कार करना एक विकल्प है। लेकिन सभी विपक्षी दलों को इस पर सहमत होना होगा। यह निर्णय इस बात पर भी निर्भर करेगी कि कृषि विधेयक पर बहस करने में असफल रहने के बाद विपक्षी दलों को संसद में MSP की गारंटी का मुद्दा उठाने का मौका मिलता है या नहीं। यदि विपक्ष को लगता है कि उन्हें एमएसपी कानून का मुद्दा उठाने का कोई अवसर नहीं मिलेगा तो निश्चय ही सत्र बहिष्कार करने के विकल्प के साथ आगे बढ़ा जाएगा।

बता दें कि सोमवार को अनुशासनहीनता का हवाला देकर राज्यसभा से कुल बारह सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित सांसदों में सबसे अधिक सांसद कांग्रेस पार्टी के 6 सांसद शामिल हैं। इनमें कांग्रेस से रिपुन बोरा, छाया वर्मा, फूलो देवी नेताम, राजामणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह शामिल हैं। वहीं शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, टीएमसी की डोला सेन और शांता छेत्री को निलंबित किया गया है। जबकि सीपीआई के बिनय विश्वम वहीं सीपीएम के एलामरम करीम को ऊपरी सदन से निलंबित किया गया है। 

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सांसदों के निलंबन के अलावा कृषि कानून वापसी बिल पर चर्चा न करना भी बड़ा मुद्दा है। दरअसल, कल दोनों सदनों में कृषि कानून निरसन विधेयक को चंद मिनटों में पारित कर दिया गया था। जबकि विपक्षी दल यह मांग कर रहे थे की इसपर सदन में चर्चा हो और सरकार हमारे सवालों का जवाब दे। लेकिन सरकार ने चर्चा करना उचित नहीं समझा इसलिए विपक्ष को बोलने का मौका तक नहीं मिल पाया।