रामदेव ने एक बार फिर लॉन्‍च की कोरोना की दवा, इस बार WHO से प्रमाणित होने का दावा

आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल को लॉन्च करने के लिए बुलाई गई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गड़करी भी रहे मौजूद, पिछले साल कोरोनिल के लॉन्च पर हुआ था बड़ा विवाद

Updated: Feb 19, 2021, 10:57 AM IST

Photo Courtesy: Aaj tak
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नई दिल्ली। योग गुरु रामदेव की फॉर्मेसी ने एक बार फिर से कोरोना की आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल लॉन्च कर दी है। इस बार रामदेव ने दावा किया है कि उनकी दवा को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाज़ेशन (WHO) से GMP सर्टिफिकेशन मिला है। इतना ही नहीं, दवा को लॉन्च करने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आज देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे। डॉक्टर हर्षवर्धन जो खुद एक चिकित्सक भी हैं, दवा को लॉन्च करते हुए उसकी जमकर तारीफ की। रामदेव ने पिछले साल भी कोरोनिल को लॉन्च किया था। लेकिन उस वक्त इस पर काफी विवाद खड़ा हो गया था। 

इस बार कोरोनिल लॉन्च करते समय पतंजलि फार्मेसी की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनकी यह दवा साक्ष्यों पर आधारित है। पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट का दावा है कि दवा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) से प्रमाणित है। इसे GMP यानी 'गुड मैनुफैक्‍चरिंग प्रैक्टिस' का प्रमाण पत्र प्रदान किया है। स्वामी रामदेव ने बताया है कि यह दवा 'एविडेंस बेस्‍ड' है। कोरोनिल के लॉन्च के मौके पर एक रिसर्च बुक भी जारी की गई है। इस मौके पर रामदेव ने कहा कि कोरोनिल के संदर्भ में नौ रिसर्च पेपर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल्‍स में प्रकाशित हो चुके हैं, जबकि 16 रिसर्च पेपर पाइपलाइन में हैं।

 

नई कोरोनिल दवा लॉन्चिंग के मौके पर रामदेव ने दावा किया कि पतंजलि की कोरोनिल टैबलेट से कोविड 19 का इलाज होगा। पतंजलि के बालकृष्ण का कहना है कि DGCA के बाद दवा को WHO से भी अप्रूवल मिला है। यह अप्रूवल 154 देशों के लिए है। उन्होंने कहा कि अब वे कोरोनिल का निर्यात भी कर सकते हैं। रामदेव का कहना है कि कोरोनिल दवा को वैज्ञानिक पद्धति से रिसर्च करने के बाद तैयार किया गया है।

आयुष मंत्रालय ने भी पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल को कोविड की दवाई के रूप में स्वीकार कर लिया है। इससे पहले 23 जून 2020 को रामदेव ने 'कोरोनिल' लांच करते हुए इससे कोविड-19 मरीजों को ठीक करने का दावा किया था। इसके लांच होते ही देश में विवाद छिड़ गया। उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कोरोना की दवा बनाने की कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं लिए जाने की बात कहते हुए पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था। उस वक्त आयुष मंत्रालय ने कहा था कि पतंजलि 'कोरोनिल' को केवल शरीर की ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने' वाली बताकर बेच सकता है।

रामदेव ने पिछले साल भी 'कोरोनिल' को कोविड-19 की दवा के रूप में ही लॉन्‍च किया था मगर विवाद के बाद वह उसे बीमारी का असर कम करने वाली दवा कहने लगे थे। रामदेव ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था कि "मंत्रालय ने उनसे ‘कोविड का इलाज’ की जगह ‘कोविड प्रबंधन’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा है।" लेकिन आज कोरोनिल को जिस तरह खुद देश के स्वास्थ्य मंत्री ने लॉन्च किया है, उससे साफ है कि अब इस दवा को बेचने और उसका प्रचार करने के रास्ते की सभी अड़चनें दूर हो चुकी हैं।