जनता पूछ रही महँगे पेट्रोल-डीज़ल के लिए कौन ज़िम्मेदार, प्रधानमंत्री बोले पिछली सरकार

पीएम मोदी बोले, अगर पहले की सरकारों ने आयात पर निर्भरता कम की होती तो आज हालात बेहतर होते, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने OPEC देशों पर डाली दाम बढ़ने की ज़िम्मेदारी

Updated: Feb 18, 2021, 08:07 AM IST

Photo Courtesy: Hindustan Times
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नई दिल्ली। पेट्रोल-डीज़ल की आसमान छूती कीमतों की जिम्मेदारी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछली सरकारों पर डाल दी है। मध्य प्रदेश के देवास से बीजेपी सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी पहले ही पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। यानी बीजेपी का फॉर्मूला बिलकुल साफ है, सरकार हमारी, जिम्मेदारी विपक्षी दल की। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की दलील थोड़ी अलग है। वे पेट्रोल-डीज़ल की महंगाई का ठीकरा तेल उत्पादक देशों पर फोड़ रहे हैं। हालांकि सच यह है कि देश में तेल के दामों में लगी आग के लिए काफी हद तक उस पर लगने वाला भारी-भरकम टैक्स जिम्मेदार है, जिसे मोदी सरकार के राज में कई गुना बढ़ाया जा चुका है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अगर पहले की सरकारों ने पेट्रोल-डीज़ल के मामले में देश की आयात पर निर्भरता को कम कर दिया होता, तो आज आम लोगों पर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का बोझ नहीं पड़ता। उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार मध्‍यवर्ग को लेकर संवेदनशील है। इसीलिए पेट्रोल में एथेनॉल का हिस्सा बढ़ाने पर ध्‍यान दिया जा रहा है। सरकार एनर्जी इंपोर्ट डिपेंडेंस घटाने पर काम कर रही है। इसके अलावा अक्षय ऊर्जा पर भी काम चल रहा है।'

पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर पहले ही पल्ला झाड़ चुके केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इसे लेकर प्रतिक्रिया दी है। धर्मेंद्र ने ऊर्जा परिदृश्य पर 11वीं आईईए आईईएफ (IEA IEF) ओपेक संगोष्ठी में कहा कि कुछ हफ्तों में कच्चे तेल के दाम में तेजी के कारण पहले से मांग में चली आ रही गिरावट और बढ़ गई। इसके कारण ग्‍लोबल इकोनॉमी की रिकवरी पर बुरा असर पड़ रहा है। 

उन्होंने कहा, 'भारत ने महंगाई को कई मोर्चों पर काबू कर लिया है, लेकिन कच्चे तेल के कारण पैदा होने वाली मुद्रास्‍फीति पर सरकार कुछ नहीं कर सकती है। कीमत को लेकर संवेदनशील भारतीय ग्राहक पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से प्रभावित हैं। इससे मांग वृद्धि पर भी असर पड़ रहा है। इससे न केवल भारत में बल्कि दूसरे विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि पर गलत असर पड़ेगा।' दरअसल, सऊदी अरब ने फरवरी और मार्च 2021 के दौरान तेल उत्‍पादन में हर दिन 10 लाख बैरल की कटौती का ऐलान किया है। इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल की कीमतों में थोड़ी तेजी हुई है। इसका असर यह हुआ कि भारत में पेट्रोल का खुदरा मूल्य 100 रुपये लीटर से ऊपर चला गया। 

देश में पेट्रोल की कीमतों को लेकर प्रधानमंत्री जहां पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं उनके ही कैबिनेट के पेट्रोलियम मंत्री अंतरराष्ट्रीय बाजार को। पेट्रोल की कीमतों को लेकर दोनों नेताओं के बयानों में काफी विरोधाभास है। वहीं दामों में बढ़ोतरी की हकीकत कुछ और है। भारत में दाम इसलिए आसमान छू रहे हैं क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार अपने अबतक के कार्यकाल में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी करीब 9 गुना और पेट्रोल पर करीब तीन गुना बढ़ा चुकी है।

मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में डीजल पर जो एक्साइज ड्यूटी 3.50 रुपए प्रतिलीटर थी वह अब बढ़कर 32 रुपए प्रति लीटर हो चुकी है। पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी भी करीब 9 रुपए प्रतिलीटर से बढ़कर लगभग 33 रुपये प्रतिलीटर हो चुकी है। ऐसे में मोदी सरकार अगर एक्साइज ड्यूटी को पहले जितना भी कर दे तो भी जनता को भारी राहत मिल सकती है। लेकिन सरकार जनता को राहत देने के लिए टैक्स घटाने से साफ इनकार कर चुकी है। ऐसे में महंगे तेल के लिए पिछली सरकारों पर ठीकरा फोड़ना या फिर अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों को जिम्मेदार ठहराना कितना सही है, यह आप खुद फैसला कर सकते हैं।