Rajasthan Updates: राज्यपाल ने दी 14 अगस्त से सत्र बुलाने की मंज़ूरी

इससे पहले राज्यपाल कलराज मिश्र तीन बार ख़ारिज कर चुके हैं सत्र बुलाने की मांग

Updated: Jul 31, 2020, 01:15 AM IST

जयपुर 29 जुलाई। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा के पंचम सत्र को मंत्रिमंडल द्वारा भेजे गए 14 अगस्त से आरंभ करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। राज्यपाल ने राजस्थान विधानसभा के सत्र के दौरान कोविड-19 से बचाव के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाने के निर्देश मौखिक रूप से दिए हैं।यह जानकारी अब से कुछ ही देर पहले डॉ लोकेश चंद्र शर्मा सहायक निदेशक (जनसंपर्क) राज्यपाल के द्वारा मीडिया को दी गई है। इससे पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने के अशोक गहलोत सरकार के प्रस्ताव को तीन बार खारिज किया। राज्यपाल 21 दिन के नोटिस पर सत्र बुलाने की शर्त को बार बार दोहरा रहे थे। 

लेकिन गहलोत सरकार ने बुधवार को फिर से कैबिनेट मीटिंग कर राज्यपाल को चौथा प्रस्ताव भेजा। कांग्रेस ने कहा था कि अगर राज्यपाल 25 जुलाई को भेजे गए दूसरे प्रस्ताव से 21 दिन का समय गिनें तो 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाया जा सकता है। इस पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने मंजूरी दे दी है। दावा है कि इस प्रस्ताव मिलने के दो घंटे के अंदर ही राज्यपाल ने सेशन बुलाने की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही कोविड के खतरे को देखते हुए राज्यपाल की तरफ से हेल्थ प्रोटोकॉल के पालन के निर्देश भी दिए गए हैं।

उधर सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहे टकराव के बीच मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि नोटिस चाहे 21 दिन का हो या 31 दिन का, जीत उनकी ही होगी। राज्यपाल ने 27 जुलाई को अशोक गहलोत सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश दिया था। हालांकि, इसके लिए उन्होंने तीन शर्तें रखी थीं। इसमें से सबसे जरूरी शर्त 21 दिन के नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाने की थी। दूसरी और तीसरी शर्त विधानसभा में बहुमत परीक्षण और कोविड 19 प्रोटोकॉल को लेकर थी। राज्यपाल ने यह भी कहा था कि उनकी विधानसभा सत्र ना बुलाने की कोई मंशा नहीं है।

इससे पहले, राज्यपाल की इन शर्तों पर विचार करने के लिए अशोक गहलोत ने 28 जुलाई को कैबिनेट बैठक बुलाई थी और विस्तृत चर्चा के बाद विधानसभा सत्र बुलाने के लिए तीसरी बार प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा था। राज्यपाल ने पहले भेजे गए दो प्रस्तावों को भी वापस लौटा दिया था।

 कांग्रेस कई बार आरोप लगा चुकी है कि राज्यपाल बीजेपी के इशारों पर काम कर रहे हैं। वहीं राज्यपाल बार-बार नियम कानूनों का हवाला दे रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि राज्यपाल की 21 दिन के नोटिस की शर्त इसलिए है ताकि बीजेपी को गहलोत कैंप के विधायकों का शिकार करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए।