सावरकर बुलबुल के पंख पर बैठकर उड़ान भरते थे, बीजेपी शासित कर्नाटक में पढ़ाया जा रहा हास्यास्पद इतिहास

अंग्रेजों से माफी मांगने वाले सावरकर को महान बताने के चक्कर में कर्नाटक की भाजपा सरकार ने बनाए मूर्खतापूर्ण पाठ्यक्रम, आठवीं के इतिहास के पाठ्यपुस्तक में लिखा कि बुलबुल पर बैठक अंडमान से भारत आते थे सावरकर

Updated: Aug 28, 2022, 12:49 PM IST

बेंगलुरु। अंग्रेजों से माफी मांगने वाले सावरकर को महान साबित करने के लिए दोक्षिणपंथी विचारकों द्वारा एक के बाद एक नई और झूठी कहानियां गढ़ी जाती रही है। झूठ के बलबूते सावरकर को महान बनाने के चक्कर कई बार हास्यास्पद और मूर्खतापूर्ण बातें भी फैलाई जाती रही है। ऐसा ही मामला भाजपा शासित कर्नाटक से आया है। यहां 10वीं के पाठ्यक्रम में बताया गया है कि सावरकर बुलबुल के पंख पर बैठकर उड़ान भरते थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्नाटक में रोहित चक्रतीर्थ की अध्यक्षता वाली पाठ्यपुस्तक संशोधन कमेटी ने आठवीं क्लास के संशोधित पाठ्यक्रम में सावरकर पर एक पाठ डाला है। यह पाठ न केवल विवादास्पद बल्की मूर्खतापूर्ण भी है। इसमें लिखा गया है कि, 'अंडमान की जिस कोठरी में सावरकर बंद थे, वहां चाबी घुसाने का भी छेद भी नहीं था। लेकिन, बुलबुल (एक प्रकार का पक्षी) कमरे में आते थे और सावरकर उनके पंखों पर बैठकर उड़ान भरते थे। सावरकर हर दिन अंडमान की जेल से इसी तरह मातृभूमि का दौरा करने भारत आते थे।'

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इस मूर्खतापूर्ण पाठ्यक्रम के लेकर काफी टीचरों ने आपत्ति जताई भी है। टीचर्स कहना है कि यदि लेखक ने सावरकर की दूसरे तरीके से प्रशंसा की होती तो कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन यहां तो सरासर झूठ और असंभव कहानी तथ्य के रूप में पेश किया जा रहा है। विद्यार्थियों को यह समझाना बहुत कठिन है। अगर छात्र इस बारे में सवाल पूछते हैं और सबूत मांगते हैं, तो हम उन्हें कैसे चुप कराएंगे? आठवीं क्लास के बच्चे समझदार होते हैं। वे किस तरह से स्वीकार करेंगे कि बुलबुल के पंख पर सावरकर समुद्र पार करते थे और भारत आते थे?'

इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात ये है कि कर्नाटक के शिक्षा मंत्री को जब ये बात पता चली तो उन्होंने पाठ्यक्रम में सुधार कराने के बजाए कहा कि ठीक लिखा है। शिक्षा मंत्री नागेश ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बातचीत के दौरान कहा कि, 'सावरकर एक महान स्वतंत्रता सेनानी हैं। लेखक ने उस पाठ में जो वर्णन किया है वह सटीक है।' बीजेपी मंत्री का ऐसा जवाब पहली बार नहीं मिला है। मंत्री और उनकी पार्टी के लोग सावरकर का तथ्यों के साथ बचाव नहीं कर पाते तो उल्टे सीधे ही जवाब देते हैं।   

बता दें कि कर्नाटक में सावरकर को बतौर स्वतंत्रता सेनानी स्थापित करने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। मसलन, स्वतंत्रता सेनानी टीपू सुल्तान के पोस्टर फाड़कर सावरकर के पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं। इससे कई शहरों में हिन्दू के बीच मुसलमान तनाव फैलाने की भी कोशिशें की गई। जबकि उन्हें इस बात की बखूबी जानकारी है कि कर्नाटक में जो दर्जा टीपू सुल्तान को प्राप्त है, उसे सावरकर के पोस्टर लगाकर स्थापित नहीं किया जा सकता।