सप्रीम कोर्ट का मुहर्रम जुलूस की इजाजत देने से इनकार

Supreme Court: जगन्नाथ रथयात्रा की तरह मांगी गई थी अनुमति, सप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना फैलाने को लेकर एक समुदाय को किया जाएगा टारगेट,

Updated: Aug 28, 2020, 05:02 AM IST

Photo Courtsey : NDTV
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में मुहर्रम के मौके पर जुलूस निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। गुरुवार (27 अगस्त) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि यदि मुहर्रम के मौके पर ताजिया निकालने की अनुमति दी जाती है तो उसके बाद एक विशेष समुदाय को कोरोना फैलाने को लेकर टारगेट किया जाएगा। 

कोर्ट ने कहा है कि हम ऐसा कोई आदेश नहीं देंगे जिससे देशभर में अराजकता फैले और देशभर में एक विशेष समुदाय को निशाने पर लिया जाए। पीठ ने इस दौरान कहा कि मुहर्रम जुलूस के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं होता जहां प्रतिबंध या सावधानी बरती जा सके। एक अदालत के रूप में हम सभी लोगों के स्वास्थ्य को जोखिम में नहीं डाल सकते। बता दें कि उत्तरप्रदेश के शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाब ने सुप्रीम कोर्ट में देशभर में मुहर्रम के जुलूस को अनुमति देने की मांग के साथ याचिका दाखिल की थी। 

पूरी रथ यात्रा को अनुमति तो मुहर्रम को क्यों नहीं ?

दायर की गई याचिका में पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा का हवाला दिया गया था जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। इस बारे में प्रमुख न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा, 'आप पूरी जगन्नाथ यात्रा की बात कर रहे हैं, वह एक स्थान और एक निश्चित रूट की बात थी। उस मामले में हम यह तय कर सकते थे कि जोखिम कितना है और उस हिसाब से हमने आदेश दिया था। मुश्किल इस बात की है कि आप हमें पूरे भारत के लिए एक संपूर्ण आदेश देने को कह रहे हैं।"

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में एक ब्लैंकेट परमिशन जिसका मतलब पूरे देश में लागू होने वाला एक आदेश नहीं दे सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में राज्य सरकारों को भी पक्षकार नहीं बनाया है। अदालत के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता ने लखनऊ में ताजिया जुलूस की अनुमति मांगी चुकी वहां बड़ी संख्या में शिया समुदाय के लोग रहते हैं। इसपर कोर्ट ने कहा कि आप उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपना मामला लेकर जा सकते हैं।