पीएम मोदी के मन की बात ना सुनना छात्रों को पड़ा महंगा, स्कूल ने ठोका 100 रुपए जुर्माना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडिया प्रोग्राम 'मन की बात' का 100वां एपिसोड नहीं सुनना कुछ छात्रों को भारी पड़ गया। क्योंकि देहरादून के एक स्कूल ने ऐसा ना करने वालों पर जुर्माना लगा दिया है।

Updated: May 07, 2023, 01:12 AM IST

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 100वें एपिसोड को ऐतिहासिक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एड़ी-चोटी की जोर लगा दी थी। इस एपिसोड को टीवी चैनलों, निजी रेडियो स्टेशनों और सामुदायिक रेडियो, सिनेमाघरों सहित एक हजार से अधिक प्लेटफॉर्म पर ब्रॉडकास्ट किया गया था। इसके अलावा छुट्टी के दिन स्कूलों में स्टूडेंट्स को जबरन बुलाकर पीएम मोदी के मन की बात सुनाया गया। बीजेपी शासित उत्तराखंड में तो मन की बात न सुनने वाले छात्रों पर एक स्कूल ने जुर्माना तक लगा दिया।

मामला जीआरडी निरंजनपुर एकेडमी देहरादून का है। पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम सुनने स्कूल नहीं पहुंचे छात्रों से 100 रुपये फाइन वसूलने का आरोप लगा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक एकेडमी की ओर से उन बच्चों को 100 रुपये फाइन लाने या फिर मेडिकल प्रमाणपत्र जमा कराने का आदेश जारी किया है जो रविवार को मन की बात कार्यक्रम के लिए स्कूल नहीं पहुंचे थे। स्कूल प्रबंधन द्वारा इस संबध में स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप में आदेश जारी किए गए हैं।

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नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने इस मामले में चीफ शिक्षा अधिकारी देहरादून को पत्र लिखकर स्कूल प्रशासन के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। आरिफ खान के मुताबिक अभिभावकों ने उन्हें स्कूल द्वारा भेजे गए आदेश का का स्क्रीनशॉट भी दिखाया है। जिसमें उन बच्चों को 100 रुपये जुर्माना लाने या फिर मेडिकल सर्टिफिकेट जमा कराने का हुक्म जारी किया है जो रविवार को मन की बात प्रोग्राम के लिए स्कूल नहीं पहुंचे थे।

मामला तूल पकड़ने के बाद शिक्षा विभाग ने स्कूल को नोटिस जारी करते हुए तीन दिन में जवाब मांगा है। मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि शिकायत का संज्ञान लेते हुए एकेडमी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अगर स्कूल तीन दिन में अपना पक्ष नहीं रखता है तो यह समझा जाएगा कि स्कूल की तरफ से छात्रों से पैसे मांगे गए थे। इसके बाद डिपार्टमेंट कार्रवाई करेगा। इस संबंध में शिकायत करने वाली संस्था से भी सबूत मांगे गए हैं।