इंदिरा का नाम लेने से क्यों डरते हैं पीएम मोदी, संकीर्ण दिमाग वाले शासकों को कौन समझाए: शिवसेना

शिवसेना ने सामना में की प्रधानमंत्री मोदी की तीखी आलोचना, बांग्लादेश की आजादी पर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का नाम न लेने पर किए तीखे वार

Publish: Dec 19, 2021, 04:56 AM IST

मुंबई। शिवसेना ने बांग्लादेश की आजादी की वर्षगांठ के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम न लिए जाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर तीखे वार किए हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र में प्रधानमंत्री मोदी की जमकर आलोचना की है। शिवसेना ने पूछा है कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का नाम लेने में इतना डर क्यों लगता है? 

शिवसेना ने शनिवार को अपने मुखपत्र में प्रधानमंत्री मोदी पर तीखे वार करते हुए कहा कि बांग्लादेश की आज़ादी के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह के दौरान प्रधानमंत्री पूर्व पीएम का नाम लेने से डर गए या वे शर्मिंदा हैं? शिवसेना ने कहा कि इंदिरा को दरकिनार कर न तो भारत का इतिहास लिखा जा सकता है, और न ही दुनिया का। शिवसेना ने कहा कि लेकिन ऐसे संकीर्ण दिमाग वाले शासकों को कौन समझाएगा? शिवसेना ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भी ढाका दौरे पर इंदिरा गांधी को याद न किए जाने की निंदा की।

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सामना में कहा गया कि अगर इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करने की हिम्मत दिखाई। अगर इंदिरा ने ऐसा नहीं किया होता, तो भारत पाकिस्तान को कभी सबक ही नहीं सिखा पाता। 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर हमने पाकिस्तान से विभाजन का प्रभावी ढंग से बदला लिया। इंदिरा गांधी ने अपने इस कदम से पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि जो कोई भी भारत को बुरी नज़र से देखेगा, उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए जाएंगे। 

सामना में प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि कोई शासक मंदिर या भवन बना सकता है, नदी साफ करा सकता है, लेकिन बांग्लादेश बनाने के लिए पाकिस्तान को नहीं तोड़ सकता। ऐसा साहस केवल इंदिरा गांधी में ही था। सामना में आगे कहा गया कि जिस समय इंदिरा गांधी ने यह उपलब्धि हासिल की, उस वक्त वर्तमान शासक एक बच्चे के तौर पर बिस्तर पर लेटे रहे होंगे। 

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इतना ही नहीं शिवसेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के संबंध में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक करने के बजाय पाकिस्तान पर सीधा हमला कर दिया। इसके लिए उन्होंने अमेरिका से बैर लेने में भी कोताही नहीं बरती। संपादकीय में कहा गया कि युद्ध में हमने न सिर्फ पाकिस्तान को धूल चटाई, बल्कि नब्बे हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ गया। जबकि कारगिल युद्ध में हमने हमारे पंद्रह सौ से अधिक सैनिकों को खो दिया, लेकिन इसके बावजूद हम इसे विजय दिवस के तौर पर मनाते हैं। 

शिवसेना ने कहा कि इंदिरा गांधी के बाद कोई भी शासक पाकिस्तान को ऐसा सबक नहीं सिखा पाया। ऐसे में इसे भूलना नारी शक्ति का अपमान करने के साथ साथ भारत मां का भी अपमान है।