वाजे कर रहा था वसूली और गृहमंत्री को खबर नहीं, शिवसेना ने अपनी ही सरकार के मंत्री पर उठाए सवाल

सामना के अपने साप्ताहिक कॉलम में शिवसेना नेता संजय राउत ने लिखा कि आख़िर एक API लेवल के अधिकारी सचिन वाजे को इतने अधिकार किसने दिए? यही जांच का विषय है

Publish: Mar 28, 2021, 07:58 AM IST

Photo Courtesy: NBT
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मुंबई। सचिन वाजे मामले को लेकर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में खींचतान जारी है। इसी बीच शिवसेना ने अपनी ही सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख को कठघरे में खड़ा कर दिया है। शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र सामना में लिखा है कि वाजे वसूली कर रहा था और गृहमंत्री को जानकारी क्यों नहीं थी? शिवसेना ने कहा है कि आख़िर एक API लेवल के अधिकारी सचिन वाजे को इतने अधिकार किसने दिए यह जांच का विषय है।

शिवसेना के राज्यसभा सांसद व सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने सामना के अपने साप्ताहिक कॉलम में लिखा, 'अनिल देशमुख को गृह मंत्री का पद दुर्घटनावश मिल गया। जयंत पाटील, दिलीप वलसे-पाटील ने गृह मंत्री का पद स्वीकार करने से मना कर दिया था। तब यह पद शरद पवार ने देशमुख को सौंपा। इस पद की एक गरिमा व रुतबा है। खौफ भी है। आरआर पाटील की गृहमंत्री के रूप में कार्य पद्धति की तुलना आज भी की जाती है। संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है। पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है। उस पर ऐसी बातों से संदेह बढ़ता है।'

राउत ने आगे लिखा, 'श्री अनिल देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया। गृहमंत्री को कम-से-कम बोलना चाहिए। बेवजह कैमरे के सामने जाना और जांच का आदेश जारी करना अच्छा नहीं है। ‘सौ सुनार की एक लोहार की' ऐसा बर्ताव गृहमंत्री का होना चाहिए। पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ ‘सैल्यूट' लेने के लिए नहीं होता है। वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है। प्रखरता ईमानदारी से तैयार होती है, ये भूलने से कैसे चलेगा।'

सामना में आगे लिखा गया है, 'परमबीर सिंह ने जब आरोप लगाया तब गृह विभाग और सरकार की धज्जियां उड़ीं। परंतु महाराष्ट्र सरकार के बचाव में एक भी महत्वपूर्ण मंत्री तुरंत सामने नहीं आया। चौबीस घंटे गड़बड़ी का माहौल बना रहा। लोगों को परमबीर का आरोप प्रारंभ में सही लगा इसकी वजह सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल' के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। एक वसूलीबाज पुलिस अधिकारी का बचाव प्रारंभ में विधान मंडल में किया। उसके बाद परमबीर सिंह के आरोपों का उत्तर देने के लिए कोई तैयार नहीं था और मीडिया पर कुछ समय के लिए विपक्ष ने कब्जा जमा लिया, यह भयंकर था।'

राउत ने आगे पूछा है कि आख़िर एक API लेवल के अधिकारी सचिन वाजे को इतने अधिकार किसने दिए? यही जांच का विषय है। राउत ने लिखा है, 'पुलिस आयुक्त, गृहमंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा वाजे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक था। उसे मुंबई पुलिस का असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया गया? यह वास्तविक जांच का विषय है। मुंबई पुलिस आयुक्तालय में बैठकर वाजे वसूली कर रहा था और गृहमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं होगी?'