असम में मटक समेत 6 आदिवासी जनजाति सड़कों पर उतरे, ST का दर्जा दिलाने के लिए अब तक 2 बड़ी रैलियां
पिछले 10 दिनों से असम का मटक समुदाय सड़कों पर उतरा है। इनमें 30 से 40 हज़ार लोग शामिल हुए। जो अपने हाथ में मशाल लेकर सड़कों पर दिखें हैं।

गुवाहाटी। असम सरकार पिछले कुछ दिनों से जनजातीय समुदायों की मांगों को लेकर बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। दरअसल राज्य में 6 अलग-अलग आदिवासी जनजाति अपनी विशेष मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रही है। इनमें पिछले 10 दिनों से असम का मटक समुदाय सड़कों पर उतरा है।
राज्य में मटक समुदाय अब तक दो बड़ी रैलियां कर चुका है। इनमें 30 से 40 हज़ार लोग शामिल हुए। जो अपने हाथ में मशाल लेकर सड़कों पर दिखें हैं। बता दें यह रैली डिब्रूगढ़ में हुई लेकिन इसकी गूंज संपूर्ण असम में गूंजी। जिससे प्रदेश के मुखिया हिमंता बिस्वा सरमा के सामने एक बड़ी मुसीबत ने दस्तक दी है।
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आदिवासी जनजाति की कई प्रमुख सूत्री मांगे हैं इनमें अनुसूचित जनजाति का दर्जा, सामाजिक और सांस्कृतिक फैसले खुद लेने की मांग सहित प्रशासनिक और आर्थिक फैसले भी खुद संरक्षित कर स्वयं लेने की मांग कर रहे हैं।
इनमें अकेले मटक समुदाय ही नहीं इनके अलावा पांच विभिन्न समुदाय भी है जो मांगे कर रहा है। इनमें चाय जनजाति, ताई अहोम, मोरन, चुटिया और कोच राजबोंगशी समुदाय भी शामिल है। यह राज्य की कुल आबादी का 12 प्रतिशत है । दरअसल यह वहीं समुदाय है जिन्हें 2014 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा सरकार ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का वादा किया था। यदि इन जनजातियों को एसटी का दर्जा मिलता है तो राज्य में इनकी आबादी 40% तक हो जाएगी।