सोशल मीडिया पर मदद के लिए गुहार लगाना गलत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चेताया

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर खुद लिया है संज्ञान, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर देश में दवाइयों का प्रोडक्शन और वितरण क्यों सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है

Updated: Apr 30, 2021, 11:50 AM IST

Photo Courtesy: ABP
Photo Courtesy: ABP

नई दिल्ली। देश भर में फैले कोरोना के प्रकोप को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर तल्ख रवैया अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन दिनों सोशल मीडिया पर लगाई जाने वाली गुहार गलत नहीं हैं, इसलिए उन लोगों के खिलाफ अफवाह फैलाना का मुकदमा नहीं दर्ज किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई मदद की गुहार लगाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेगा, तो अदालत उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा दर्ज करेगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना ने बढ़ते प्रकोप को देखते हुए खुद संज्ञान लिया है। कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि संकट की इस घड़ी में सोशल मीडिया पर जो इंजेक्शन, बेड और ऑक्सीजन से जुड़ी मदद मांगी जा रही हैं, इन गुहारों को किसी भी तरह से गलत या अफवाह करार नहीं दिया जा सकता है। लिहाज़ा कोर्ट ने केंद्र सरकार और तमाम राज्यों के डीजीपी को स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर मदद की गुहार लगाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया तो कोर्ट इसे अदालत की अवमानना मानेगा। 

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की भी जमकर क्लास लगाई। कोर्ट ने कहा कि दवाइयों का प्रोडक्शन और वितरण सही ढंग से क्यों नहीं हो रहा है? कोर्ट ने कहा कि हमने लोगों को ऑक्सीजन के लिए रोते हुए सुना है। दिल्ली में ऑक्सीजन नहीं है। गुजरात और महाराष्ट्र में भी ऐसा है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि हर महीने एक करोड़ से अधिक रेमडेसिविर के उत्पादन की क्षमता है। 

कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि केंद्र सरकार के रूप में आपके पास एक विशेष ज़िम्मेदारी आपको लोगों की जान हर हाल में बचानी होगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीन के वितरण को लेकर भी सवाल किए। कोर्ट ने कहा टीकों को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल के आधार पर सभी राज्यों को एक दाम में उपलब्ध कराना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आखिरकार यह देश के नागरिकों के लिए है।