समाचार का सांप्रदायिकरण है बड़ी समस्या, इससे देश होता है बदनाम: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी जमीयत उलेमा-ए-हिंद की उस याचिका की सुनवाई के दौरान की, जिसमें तबलीगी जमात के खिलाफ फेक न्यूज़ फैलाने वाले लोगों पर कार्रवाई की मांग की गई है

Publish: Sep 02, 2021, 03:12 PM IST

नई दिल्ली। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया और तमाम वेब पोर्टल पर प्रसारित होने वाले फेक न्यूज़ के प्रति चिंता जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने फेक न्यूज़ के संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा कि समाचार का सांप्रदायिकरण सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। इससे देश का नाम खराब होता है। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। सुप्रीम कोर्ट में जमीयत ने कोरोना काल में तबलीगी जमात को लेकर फेक न्यूज़ फैलाने वाले लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की है। कोरोना काल में दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मरकज में ठहरे तबलीगी जमात के लोगों पर जानबूझ के कोरोना फैलाने का आरोप लगाते हुए फेक न्यूज़ प्रसारित किए गए थे। 

चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि वेब पोर्टल किसी के अधीन नहीं होते हैं। अमूमन समाचार को एक साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाती है, जो कि एक बड़ी समस्या है। इससे आखिरकार देश का ही नाम खराब होता है। 

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये लोग सिर्फ शक्तिशाली लोगों की सुनते हैं। बेंच ने कहा कि फेक न्यूज़ को प्रसारित करने वाले वेब पोर्टल और यूट्यूब पर कोई नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आप यूट्यूब पर जाएं, आप यही पाएंगे कि कैसे फेक न्यूज़ को फ्री में प्रसारित किया जा रहा है और कोई भी व्यक्ति यूट्यूब पर जा कर अपना एक चैनल बना सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नए आईटी नियम इस समस्या के निवारण के लिए बनाए गए हैं। सॉलिसिटर जनरल ने देश भर की विभिन्न अदालतों में आईटी नियमों से संबंधित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। तुषार मेहता ने कहा विभिन्न अदालतें आईटी नियमों के सिलसिले में अलग-अलग आदेश पारित कर रही हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक समग्र तस्वीर पेश कर सकता है, क्योंकि यह मसला पूरे देश का है। 

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निजामुद्दीन मरकज मामले को सांप्रदायिक रंग देने के सिलसिले में मीडिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी। नए आईटी नियमों से संबंधित सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की याचिका को भी इसी याचिका के साथ जोड़ा गया है। सुप्रीम कोर्ट अब 6 हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई करेगा।