सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पहल, महिलाओं के लिए स्लट और प्रॉस्टिट्यूट जैसे शब्दों का नहीं होगा इस्तेमाल

जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक जारी करते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढ़िवादी हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

Updated: Aug 16, 2023, 04:49 PM IST

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने महिलाओं को लेकर एक बड़ी पहल की है। अब से अदालतों के फैसलों और कानूनी दलीलों में जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को न्यायिक फैसलों में लैंगिक रूढ़िवादिता खत्म करने के लिए हैंडबुक लॉन्च की। इस जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक में उन शब्दों का उल्लेख है जिसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

दरअसल, इस साल 8 मार्च को महिला दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में हुए इवेंट में CJI कहा था कि कानूनी मामलों में महिलाओं के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल रुकेगा और जल्द डिक्शनरी भी आएगी। बुधवार को हैंडबुक जारी करते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढ़िवादी हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

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CJI चंद्रचूड़ ने बताया कि इस हैंडबुक में आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द और वाक्य बताए गए हैं। इन्हें कोर्ट में दलीलें देने, आदेश देने और उसकी कॉपी तैयार करने में यूज किया जा सकता है। यह हैंडबुक वकीलों के साथ-साथ जजों के लिए भी है। हैंडबुक में लिखा है कि अफेयर को शादी से इतर रिश्ता कहा जाएगा। प्रॉस्टिट्यूट शब्द के प्रयोग पर भी पाबंदी लगाई गई है। इसके जगह सेक्स वर्कर शब्द का इस्तेमाल होगा। चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूट को तस्करी करके लाया बच्चा कहा जाएगा। शब्दावली में ईव टीजिंग को स्ट्रीट सेक्सुअल हैरेसमेंट कहा गया है।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने हैंडबुक जारी करते हुए कहा, 'ये शब्द अनुचित हैं और अतीत में जजों द्वारा इसका इस्तेमाल किया गया है। हैंडबुक का इरादा आलोचना करना या निर्णयों पर संदेह करना नहीं है, बल्कि केवल यह दिखाना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादिता का इस्तेमाल किया जा सकता है। विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ हानिकारक रूढ़िवादिता के उपयोग के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए ये हैंडबुक जारी की जा रही है। इसका उद्देश्य यह बताना है कि रूढ़िवादिता क्या है।'