ताजमहल विवाद: इलाहाबाद HC ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, कहा- पहले पढ़िए फिर आइए

अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या इतिहास आपके मुताबिक पढ़ा जाएगा, याचिका में 22 कमरों को खोलने और पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने कि की गई थी मांग

Updated: May 12, 2022, 11:36 AM IST

Courtesy:  Live hindustan
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इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में ताजमहल के 22 कमरों को खोले जाने और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग एएसआई से उसकी जांच कराने की याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस डी के उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि जनहित याचिका व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। कल आप आएंगे और कहेंगे कि हमें माननीय जज के चेंबर में जाने की अनुमति चाहिए।

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जस्टिस डी के उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, इसी दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप मानते हैं कि ताजमहल शाहजहां ने नहीं बनाया?  क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनवाया या ताजमहल की उम्र क्या है?

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मामले की सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने इस संबंध में जिम्मेदार एजेंसियों से जानकारी मांगी थी, लेकिन जो जानकारी मिली उससे याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं है। इसी पर कोर्ट ने कहा कि अगर अधिकारियों ने कहा है कि वो सभी 22 कमरें सुरक्षा कारणों से बंद हैं तो ये पर्याप्त जानकारी है।

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सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगा दी। दरअसल याचिकाकर्ता ने कम से कम खुद के लिए उन कमरों में जाने की इजाजत मांगी, ताकि उसका शक दूर हो जाए।  इस दलील पर अदालत ने कहा, 'ऐसे तो कल आप याचिका लगाकर जजों के चैंबर में जाने की इजाजत मांगने लगेंगे। इसलिए आपसे अपेक्षा की जाती है कि पीआईएल की अहमियत को जानें और कृपया इस व्यवस्था का मजाक न बनाएं। 

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न्यायालय ने फटकार लगाते हुए कहा कि आपको जिस विषय के बारे में पता नहीं है उस पर शोध कीजिए। जाइए एमए, पीएचडी कीजिए। अगर आपको कोई संस्थान शोध नहीं करने देता है तो हमारे पास आइए।