दिल्‍ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई होगी महंगाई, UG-PG फर्स्ट ईयर की फीस बढ़ाने की तैयारी में विवि प्रशासन

दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में फीस बढ़ने के कारण यहां पढ़ने आ रहे यूपी, बिहार, एमपी, झारखंड और राजस्थान सहित देश के कई राज्यों के निम्न व मध्यम आयवर्ग के छात्रों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

Updated: Jul 25, 2024, 08:26 PM IST

नई दिल्ली। दिल्‍ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने का ख्‍वाब देखने वालों को यह खबर मायूस कर सकती है। खासतौर से दिल्‍ली के बाहर यूपी, बिहार, झारखंड समेत देश के अन्य राज्यों से आने वाले उन छात्रों के लिए, जो निम्न व मध्यम आयवर्ग के परिवार से आते हैं और कम खर्च में दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने का सपना देखते हैं। दरअसल, विश्वविद्यालय प्रशासन ने फीस बढ़ाने का निर्णय लिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्वविद्यालय स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की फीस बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। बीटेक प्रोग्राम, पांच वर्षीय इंटिग्रेटिड लॉ प्रोग्राम (बीए एलएलबी, बीबीए एलएलबी), इंटिग्रेटिड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आईटेप), विदेशी छात्रों के लिए, पीएचडी व एनसीवेब (नॉन कॉलेजिऐट महिला शिक्षा बोर्ड) में फीस बढ़ाई जाएगी। बीटेक कोर्स में तो अगले चार साल तक फीस बढ़ाने की तैयारी की गई है।

फीस संशोधन कमेटी की सिफारिशों को कुलपति की मंजूरी के बाद इसे शनिवार को होने जा रही कार्यकारी परिषद की बैठक में रिपोर्टिंग आइटम के रूप में रखा जाएगा। बीटेक के इस साल के फीस ढांचे पर नजर डालें तो फीस में वार्षिक आठ हजार रुपये की बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में बीटेक की फीस वार्षिक 2,16,000 है जिसे बढ़ाकर 2,24,000 किया जाएगा। 

वहीं, लॉ प्रोग्राम में वर्तमान फीस 1,90,000 है जोकि बढ़कर 1,99,700 हो जाएगी। एनसीवेब के बीए व बीकॉम प्रोग्राम में जो फीस 3200-3600 तक है, वह बढ़कर 7,130 रुपये तक हो जाएगी। इस तरह से विभिन्न पाठ्यक्रमों में बढ़ोतरी दो हजार से लेकर 9 हजार रुपये तक की है।

डीयू की कार्यकारी परिषद के सदस्य अमन कुमार ने फीस में बढ़ोतरी के फैसले को अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि इससे निम्न वर्ग व उच्च मध्य वर्गीय छात्रों पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। डीयू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और यहां निम्न आय वर्ग वाले छात्र भी कम फीस में पढ़ पाते हैं लेकिन फीस बढ़ोतरी करने से उनकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा। विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस संरचना में निरंतर वृद्धि ठीक नहीं है। छात्रों द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय को चुनने का एक कारण इसकी फीस संरचना है। विश्वविद्यालयों को स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए कहा जा रहा है जिससे केंद्रीय विश्वविद्यालयों का व्यवसायीकरण और निजीकरण हो रहा है। इस तरह से आर्थिक रूप से गरीब वर्ग के छात्र कहां जाएंगे।