जम्मू-कश्मीर के तीन फोटो पत्रकारों को पुलित्जर पुरस्कार

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सराहनीय काम के लिए ये पुरस्कार मिला है.

Publish: May 06, 2020, 03:38 AM IST

जम्मू-कश्मीर के तीन फोटो पत्रकारों को 2020 के पुलित्जर पुरस्कार में ‘फीचर फोटोग्राफी’ की श्रेणी में सम्मानित किया गया है. तीनों पत्रकारों को पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद क्षेत्र में जारी बंद के दौरान सराहनीय काम करने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

एसोसिएट प्रेस (एपी) के तीन फोटो पत्रकार मुख्तार खान, यासीन डार और चन्नी आनंद कल रात पुलित्जर पुरस्कार हासलि करने वाले लोगों की सूची में शुमार हैं.

पुलित्जर पुरस्कार देने वाली समिति ने कहा कि तीनों पत्रकारों की फोटो विवादित हिमालयी क्षेत्र में जीवन की मर्मभेदी तस्वीर पेश करती हैं.

वहीं एसोसिएट प्रेस के सीईओ गैरी प्रुईट ने तीनों पत्रकारों के काम को महत्वपूर्ण और शानदार बताया.

उन्होंने आगे कहा, “कश्मीर की टीम का शुक्रिया. क्षेत्र की आजादी को लेकर चल रहे लंबे संघर्ष में नाटकीय वृद्धि को दुनिया देख पाई.”

घाटी में महीनों तक लगे रहे कर्फ्यू में सड़कों पर बच-बच कर चलते हुए, अपरिचित लोगों के यहां शरण लेकर और कई बार सब्जी के झोले में अपना कैमार छिपाकर इन फोटो पत्रकारों ने लोगों के विरोध, पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई और रोजमर्रा के जीवन की तस्वीरें खीचीं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘ जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों के लिए यह साल मुश्किल रहा और पिछले 30 साल को देखते हुए यह कह पाना आसान नहीं है. यासिन डार, मुख्तार खान और चन्नी आनंद को प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए शुभकामनाएं.’’

 

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी फोटो पत्रकारों को बधाई देते हुए कहा , ‘‘ अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान को गैरकानूनी तरीके से हटाए जाने के बाद कश्मीर में उत्पन्न हुए मानवीय संकट को तस्वीरों में उतारने के लिए यासिन डार, मुख्तार खान को बधाई. कमाल है कि हमारे पत्रकारों को विदेश में सम्मान मिल रहा है जबकि अपने ही घर में निर्दयी कानून के तहत उन्हें दंडित किया जाता है.’’

उन्होंने यह ट्वीट अपनी मां महबूबा के अकाउंट से किया.

वरिष्ठ पत्रकार युसूफ जमील ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश के पत्रकारों के लिए यह गर्व की बात है.

अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के बाद भारत सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को ही क्षेत्र में महीनों लंबा कर्फ्यू लगा दिया. इस दौरान घाटी में इंटरनेट, लैंडलाइन और मोबाइल सेवाएं भी बंद रहीं. ऐसे में क्षेत्र के पत्रकारों के लिए काम करना असंभव हो गया.

वहीं बीते कुछ दिनों में कश्मीर से संबंध रखने वाले पत्रकारों के खिलाफ सरकार ने कथित देशद्रोही गतिविधियों के आरोप में संगीन धाराओं और आतंकविरोधी कानून के तहत मामले दर्ज किए हैं. विश्व भर के पत्रकारिता संस्थानों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है.