कब तक नेहरू जी का नाम लेते रहोगे, अपने काम तो गिनाओ, संसद में प्रियंका गांधी ने भाजपा को घेरा
प्रियंका गांधी ने कहा कि आज संसद में बैठे सत्ता पक्ष के लोग अतीत की बात करते हैं, वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए आपकी क्या जिम्मेदारी है, आप क्या कर रहे हैं। देश का किसान आज परेशान है।
नई दिल्ली। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान शुक्रवार को वायनाड सांसद प्रियंका गांधी ने बीजेपी और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। प्रियंका गांधी ने राजनाथ सिंह के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सारी जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू पर डाल दी जाती है, आप वर्तमान की बात क्यों नहीं करते।
प्रियंका गांधी ने आगे कहा, 'कृषि कानून ताकतवर लोगों के लिए बनाए गए। सभी एयरपोर्ट, सड़क, रेलवे के काम एक व्यक्ति को दिए जा रहे हैं। सरकार अडानी का पक्ष ले रही है। लोग मानते थे कि संविधान उनकी रक्षा करेगा, लेकिन अब उनका भरोसा खत्म हो गया है।'
उन्होंने आगे कहा कि आज संसद में बैठे सत्ता पक्ष के लोग अतीत की बात करते हैं, वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए आपकी क्या जिम्मेदारी है, आप क्या कर रहे हैं। देश का किसान आज परेशान है। छोटे किसान रो रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सबकुछ बदला जा रहा है। अडानी को सारे कोल्ड स्टोरेज इस सरकार में दिए गए। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ जनता को नकारा जा रहा है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि सारे बिजनेस, सारे संसाधन और सारे मौके एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, खदाने, एयरपोर्ट्स एक व्यक्ति को दिए जा रहे हैं। जनता के मन में एक विश्वास होता था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान उनकी रक्षा करेगा, लेकिन आज देश में गैर बराबरी बढ़ रही है। अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब, ज्यादा गरीब हो रहा है।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इंदिरा जी ने बैंकों, खदानों का राष्ट्रीयकरण कराया। कांग्रेस सरकारों में शिक्षा-भोजन का अधिकार मिला। जनता का भरोसा मिला। पहले संसद चलती थी तो उम्मीद होती थी कि महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा होगी, कोई रास्ता निकलेगा। कोई नीति बनेगी तो देश की अर्थव्यवस्था, भविष्य को मजबूत बनाने के लिए बनेगी। आज तो संसद ही नहीं चलने दी जा रही।
यह भी पढे़ं: दुनिया में सड़क हादसों का सबसे गंदा रिकॉर्ड हमारा, वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस में मुंह छिपाता हूं: नितिन गडकरी
प्रियंका ने कहा कि पीएम सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं। संभल, हाथरस, मणिपुर में जब न्याय की बात उठती है तो माथे पर शिकन तक नहीं आता। एक कहानी होती थी- राजा भेष बदलकर बाजार में आलोचना सुनने जाता था कि प्रजा क्या कह रही है। मैं सही रास्ते पर हूं या नहीं। आज के राजा भेष तो बदलते हैं, उन्हें शौक है। न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की।