औचक निरीक्षण पर पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अस्पताल में हुई पिटाई, गार्ड ने लट्ठ मार वहां से भगाया

वेश बदलकर अस्पताल की हालात देखने पहुंचे थे मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, बेंच पर बैठने गए तो आम रोगी समझ गार्ड ने लट्ठ मारकर भगाया

Updated: Sep 19, 2021, 12:49 PM IST

Photo Courtesy : Prabhat Khabar
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नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बड़ा दावा किया है। मंडाविया ने कहा है कि राजधानी के सफदरजंग अस्पताल में जब वे औचक निरीक्षण करने पहुंचे तो उनकी पिटाई गई। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक जब वे एक बेंच पर बैठने जा रहे थे तो गार्ड ने उन्हें लट्ठ मारकर वहां से खदेड़ दिया। केंद्रीय मंत्री की आपबीती सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैरान हो गए हैं।

मनसुख मंडाविया ने इस पूरे घटनाक्रम का खुलासा बीते शुक्रवार को सफदरजंग अस्पताल में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के उद्घाटन समारोह के दौरान किया है। उन्होंने डॉक्टरों से कहा, 'कुछ दिन पहले मैं एक आम रोगी के वेश में सफदरजंग अस्पताल का निरीक्षण करने आया था। अस्पताल में जब मैं एक बेंच पर बैठने जा रहा था तो वहां मौजूद एक सुरक्षा गार्ड ने मुझे डंडे मारकर वहां से भगा दिया।'

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मनसुख मंडाविया ने बताया कि इस दौरान अस्पताल में लोग स्ट्रेचर समेत अन्य सुविधाओं के लिए इधर-उधर भटक रहे थे। उन्होंने बताया कि एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला अपने बेटे के लिए स्ट्रेचर लाने की गुहार करती रही लेकिन उन्हें स्ट्रेचर नहीं मिला। मंडाविया ने गार्ड्स के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि जब अस्पताल में 1500 गार्ड तैनात होते हैं तो किसी मे महिला की मदद क्यों नहीं की?

मंडाविया ने बताया कि इस बात की जानकारी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी दी। मंडाविया के मुताबिक इसपर पीएम मोदी ने पूछा कि उस गार्ड को निलंबित किया या नहीं तो वे बोले कि उन्होंने लट्ठ मारने वाले गार्ड को सस्पेंड नहीं किया है क्योंकि वे एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरी व्यवस्था सुधारना चाहते हैं। मंडाविया ने इस दौरान ये नहीं बताया कि बेटे की जिंदगी बचाने के लिए जो महिला स्ट्रेचर मांग रही थी बाद में उसकी मदद हुई या नहीं।

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हम समवेत स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया के इस दावे की सत्यता की पुष्टि नहीं करता। हालांकि, यदि यह सही है तो ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। राजधानी दिल्ली के सबसे मशहूर और हाईटेक सुविधाओं से लैस मानी जाने वाली सरकारी अस्पताल की जब हालत ये है तो देश के सुदूर ग्रामीण इलाकों में स्थित शासकीय अस्पतालों की स्थिति क्या होगी इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।