भारत में बढ़ा अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न
2004 के बाद से यह पहला मौका है जब USCIRF ने भारत को लेकर इस तरह की सिफारिश की हो.

यूएई राजकुमारी की हिटलर वाली टिप्पणी और कुवैत सहित अन्य अरब देशों द्वारा 'इस्लामोफोबिया' पर भारत सरकार की आलोचना के बाद अमेरिकी सरकार के एक समूह ने भी धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में भारत की स्थिति को लेकर चिंता जताई है.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने 2020 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि भारत में पिछले साल धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं और धार्मिक स्वंत्रता के मामले में भारत निश्चित तौर पर नीचे गया है. इस आधार पर आयोग ने अमेरिकी सरकार से भारत को 13 अन्य देशों को ‘खास चिंता वाले देशों’ की श्रेणी में रखने की सिफारिश की है.
Countries of Particular Concern in #USCIRFAnnualReport2020: Burma, China, Eritrea, India, Iran, Nigeria, North Korea, Pakistan, Russia, Saudi Arabia, Syria, Tajikistan, Turkmenistan, and Vietnam
— USCIRF (@USCIRF) April 28, 2020
2004 के बाद से यह पहला मौका है जब USCIRF ने भारत को लेकर इस तरह की सिफारिश की हो. 2002 के गुजरात दंगों के बाद आयोग ने ऐसा किया था.
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हालांकि, भारत ने पूरी तरह से अमेरिकी आयोग की इस रिपोर्ट को नकारा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हम भारत को लेकर इस रिपोर्ट को नकारते हैं. उन्होंने कहा कि भारत के प्रति आयोग की पक्षपातपूर्ण और विवादास्पद टिप्पणियां नई नहीं हैं. लेकिन इस बार इसकी गलतबयानी नए स्तर पर पहुंच चुकी है. आयोग अपनी रिपोर्ट के लिए अपने कमिश्नरों को ही राजी नहीं कर पाया है. हम आयोग को विशेष चिंता वाली संस्था मानते हैं और इसी आधार पर व्यवहार करेंगे.
USCIRF के नौ में से तीन कमिश्नरों ने भारत पर रिपोर्ट को लेकर असमति जताई है. जबकि छह कमिश्नर पूरी तरह से समहत हैं.
अपनी सालाना रिपोर्ट में आयोग ने आरोप लगाया कि 2019 में भारत सरकार ने अपने प्रचंड संसदीय बहुमत का प्रयोग करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी नीतियां बनाईं जो धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करती हैं, खासकर मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले, नागरिता संशोधन कानून और उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों का भी उल्लेख किया.
रिपोर्ट मे कहा गया कि एनआरसी के साथ मिलकर नागरिकता संशोधन कानून लाखों भारतीय मुसलमानों की हिरासत, डिपोर्टेशन और उनके राज्यविहीन हो जाने जैसे खतरे खड़ा करता है.
रिपोर्ट में गृह मंत्री अमित शाह का दो बार जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि अमित शाह ने शरणार्थियों को दीमक बुलाया, जिन्हें सबक सिखाए जाने की जरूरत है. दूसरी बार अमित शाह का जिक्र दिल्ली दंगों के संदर्भ में आया. रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली में कट्टरपंथी भीड़ समूहों ने मुसलमानों की बस्तियों पर हमला किया. दिल्ली पुलिस जो गृह मंत्रालय के नियंत्रण में है, उसने इन हमलों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया बल्कि कई जगहों पर हमलावरों का साथ दिया.
रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 के दौरान गोहत्या के नाम पर मुसलमानों की लिंचिंग होती रही और केंद्र सरकार तथा बीजेपी की राज्य सरकारों ने इसके ऊपर कोई खास कार्रवाई ना कर धार्मिक अल्पसंख्यकों के ऊपर हमलों को बढ़ावा दिया. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि भारत सरकार के इस रवैये और नवंबर में अयोध्या भूमि विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनके खिलाफ हिंसा करने पर सजा ना मिलने की राष्ट्रव्यापी संस्कृति को जन्म दिया.