दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा नहीं रहे, 86 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में एडमिट थे। यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली।

Updated: Oct 10, 2024, 12:26 AM IST

मुंबई। देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है। उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रतन टाटा का मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था।

रतन टाटा के निधन ने न केवल भारतीय उद्योग को बल्कि पूरे देश को गहरा सदमा दिया है। रतन टाटा ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों के माध्यम से टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया और भारतीय उद्योग को एक नई दिशा दी। उनके निधन की खबर से भारतीय उद्योग जगत में सन्नाटा पसरा हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने X पर लिखा, ‘श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया। अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण उन्होंने कई लोगों का प्रिय बना लिया।’

वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि रतन टाटा दूरदृष्टि व्यक्ति थे। उन्होंने व्यापार और परोपकार दोनों पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके परिवार और टाटा समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं।

बता दें कि इससे दो दिन पहले 7 अक्टूबर को कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि रतन टाटा ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती हैं। उनका ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया था। हालांकि रतन टाटा ने इन खबरों का खण्डन करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा था कि मैं ठीक हूं और ज्यादा उम्र के कारण रुटीन चेकअप के लिए अस्पताल गया था। चिंता की कोई बात नहीं है।

रतन टाटा का जीवन

साल 1937 में रतन टाटा का जन्म सूनू और नवल टाटा के घर हुआ। 17 साल की उम्र में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी (इथाका, न्यूयॉर्क, यूएसए) के लिए गए। यहां उन्होंने करीब 7 साल तक वास्तुकला और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। साल 1962 में रतन टाटा वास्तुकला से ग्रेजुएट हुए। इसी साल वह पहली बार टाटा समूह की कंपनी टाटा इंडस्ट्रीज में बतौर असिस्टेंट शामिल हुए।

उन्होंने टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी (जिसे अब टाटा मोटर्स कहा जाता है) के जमशेदपुर प्लांट में छह महीने की ट्रेनिंग ली। इसके बाद रतन टाटा का एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए ट्रांसफर हो गया। यह ट्रांसफर टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी या टिस्को (जिसे अब टाटा स्टील कहा जाता है) की जमशेदपुर फैसलिटीज में हुआ। साल 1965 में वह टिस्को के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में तकनीकी अधिकारी नियुक्त किये गए।