Vikas Dubey Encounter: याचिका में जताई गई थी हत्या की आशंका

Vikas Dubey Encounter Live Updates: देर रात लगाई याचिका में की गई थी विकास दुबे को पुलिस से बचाने की गुहार

Publish: Jul 11, 2020, 03:37 AM IST

कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में आठ पुलिसवालों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे के मारे जाने के कुछ घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी।याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को उसकी जान की हिफाजत करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी मांग की गई थी कि वह पुलिस के हाथों न मारा जाए।

याचिका में यह मांग भी की गई थी कि पिछले सप्ताह आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में कथित तौर पर दुबे के साथ शामिल रहे पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में मारे जाने के सिलसिले में एफआईआर दर्ज की जाए और शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई से जांच कराई जाए। याचिका में दुबे के घर, वाहनों और अन्य संपत्तियों को ढहाने और तोड़ने के संबंध में भी एफआईआर दर्ज करने का उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी।

यह याचिका वकील घनश्याम उपाध्याय की ओर से दाखिल की गई। उन्होंने अपनी याचिका में मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि पुलिस द्वारा इन पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में हत्या ‘‘न केवल अत्यंत गैरकानूनी और अमानवीय है, बल्कि अदालत की अंतरात्मा को भी झकझोरने वाली है और यह देश का तालिबानीकरण है, जिसको बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’

उपाध्याय ने बताया, ‘‘मैंने देर रात दो बजे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से याचिका दाखिल की थी।’’

इस बीच विपक्ष के कई नेताओं ने विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि विकास दुबे को इसलिए फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया क्योंकि वह सरकार में बैठे लोगों के काले रहस्य जानता था। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्ममंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि गाड़ी अगर ना पलटती तो सरकार पलट जाती। उन्होंने एक टीवी चैनल पर यह मांग भी की कि विकास दुबे के पिछले कुछ दिनों के कॉल रिकॉर्ड सार्वजनिक किए जाएं, ताकि पता चले कि वह किन लोगों से संपर्क में था और किन लोगों की मदद से तीन राज्यों में घूमते हुए उज्जैन के महाकाल मंदिर में सरेंडर करने पहुंचा।

इसी तरह कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी विकास के एनकाउंटर को लेकर सवाल उठाए हैं और मामले की जांच की मांग की है। उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले पर जानकारी देने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तलब किया है। 

असल में अपराध जगत में पांव रखने और नब्बे के दशक के अंत से ही विकास दुबे के नेताओं से करीबी संबंध में थे। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा उसने लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों में समान पकड़ बना ली। हाल ही में उसका 2017 का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वो बता रहा था कि कैसे उसके क्षेत्र के दो भाजपा विधायक अनेक मामलों में उसके खिलाफ कार्रवाई ना करने के लिए शपथपत्र देते हैं। नेताओं के अलावा विकास दुबे का नाम प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ भी आया है। उसके खजांची जय बाजपेयी की कई फोटो उत्तर प्रदेश के अपर प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी और कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव के साथ हैं। बाजपेयी इस समय पुलिस की गिरफ्त में है। 

गौरतलब है कि कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में दो और तीन जुलाई को देर रात में बदमाशों पर दबिश देने गए पुलिस दल पर अपराधियों ने हमला कर दिया था, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।

विकास दुबे के कथित एनकाउंटर को लेकर पुलिस का कहना है कि वह 10 जुलाई की सुबह उस समय मुठभेड़ में मारा गया, जब उज्जैन से उसे लेकर कानपुर आ रही पुलिस की एक गाड़ी भौती इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई और उसने मौके से भाग जाने की कोशिश की।

कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि दुर्घटना में नवाबगंज थाने के एक निरीक्षक समेत चार पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। दुबे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।