मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, दो समूहों के बीच भारी गोलीबारी, स्कूल और घर जलाए गए

हाल ही में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराने का वीडियो सामने आया था, जिससे पूरे देस में हड़कंप मच गया था। महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और सामूहिक दुष्कर्म के मामले पुलिस ने अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

Updated: Jul 23, 2023, 09:50 AM IST

इंफाल। मणिपुर में पिछले करीब तीन महीने से जारी हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। बिष्णुपुर जिले में शनिवार देर शाम दो समूहों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई। महिलाओं ने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और टायर जलाए। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुकी समुदाय के 100 से ज्यादा लोगों ने मैतेई समुदाय के कुछ घर और एक स्कूल जला दिए। मौके पर पहुंचकर सुरक्षा बलों ने हालात पर काबू किया। कुंबी से बीजेपी विधायक सनासम प्रेमचंद्र सिंह ने बताया कि यह सभी चुराचांदपुर जिले से आए थे और अचानक अटैक कर दिया।

मणिपुर में 85 से अधिक दिनों से जातीय हिंसा जारी है, जिसमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हाल ही में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाने का वीडियो सामने आया था। जिसने पूरे देश को दहला दिया है। महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और सामूहिक दुष्कर्म के मामले पुलिस ने शनिवार को दो और लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें एक की उम्र 19 साल और दूसरा जुवेनाइल है। अब तक इस मामले में कुछ छह गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इससे पहले पुलिस ने 20 जुलाई को चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

एक अन्य घटना को लेकर आदिवासी महिला ने सैकुल थाने में मामला दर्ज कराया है कि चार मई को उसकी 21 वर्षीय बेटी और 24 साल की सहेली के साथ भी भीड़ ने घर में घुसकर सामूहिक दुष्कर्म किया और निर्मम हत्या कर दी। बता दें कि यौन हिंसा का वीडियो वायरल होने के बाद स्वयं सीएम बीरेन सिंह ने कहा था कि इस तरह की सैंकड़ों घटनाएं हुई हैं।

मणिपुर में तीन मई को हिंसा की शुरुआत चुराचांदपुर जिले से हुई थी, जो राज्य की राजधानी इंफाल के दक्षिण में करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर है। इस जिले में कुकी आदिवासी ज्यादा हैं। गवर्नमेंट लैंड सर्वे के विरोध में 28 अप्रैल को द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचंदपुर में आठ घंटे बंद का एलान किया था। देखते ही देखते इस बंद ने हिंसक रूप ले लिया। उसी रात तुइबोंग एरिया में उपद्रवियों ने वन विभाग के ऑफिस को आग के हवाले कर दिया। 27-28 अप्रैल की हिंसा में मुख्य तौर पर पुलिस और कुकी आदिवासी आमने-सामने थे।