दफ्तर दरबारी: क्या सरकार चलाने दिल्ली से आएंगे अनुरागी अफसर
MP New Chief Secretary: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित हुए 18 दिन हो गए हैं और मुख्यमंत्री मोहन यादव को शपथ ग्रहण किए भी एक सप्ताह हो गया है लेकिन अब तक न तो मंत्रिमंडल का आकार और नाम तय हो पाया है और न ही प्रशासिनक तस्वीर साफ हो पाई है। हर आंख अब दिल्ली की ओर लगी है कि कब वहां से इशारा हो और कब यहां अनुरागी नियुक्तियां संभव हो सके।
मुख्यमंत्री मोहन यादव गुरुवार को फिर दिल्ली जा रहे हैं। शपथ ग्रहण के बाद यह दूसरा मौका है जब वे दिल्ली में बीजपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर अपनी कैबिनेट के विस्तार पर बात करेंगे। लेकिन यह यात्रा केवल राजनीतिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है। इन यात्राओं और मुलाकातों के दौरान मध्यप्रदेश का प्रशासनिक मुखिया भी तय होगा।
प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस नवंबर अंत में रिटायर हो चुके हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिशों के बाद भी केंद्र सरकार ने उन्हें तीसरी बार सेवावृद्धि नहीं दी थी। बैंस की विदाई के बाद वरिष्ठता के आधार पर आईएएस वीरा राणा को मुख्य सचिव का प्रभार दिया गया है। उनका कार्यकाल मार्च 2024 के अंत तक का है। इसलिए उन्हें नहीं हटाने पर भी विचार चल रहा है लेकिन मार्च में उनके रिटायर होने तक लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहित लग जाएगी। आचार संहिता के पहले मध्यप्रदेश को नया मुख्य सचिव मिल सकता है।
नए मुख्य सचिव के लिए दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर गए वरिष्ठ आईएएस अनुराग जैन का नाम हरबार की तरह सबसे ऊपर है। इसके साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह राजेश राजौरा की दावेदारी है। एसीएस राजौरा की सेवा का अधिकांश समय मालवा क्षेत्र में गुजरा है इसलिए मुख्यमंत्री मोहन यादव तथा मालवा के प्रभावी नेताओं से उनके अच्छे संपर्क हैं। जबकि अनुराग जैन दिल्ली की पसंद हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं और कई योजनाओं को धरातल में उतारने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि, अनुराग जैन और राजेश राजौरा दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी पसंदीदा अफसरों में शुमार रहे हैं।
जिस तरह से अब तक दिखाई दे रहा है कि मध्यप्रदेश के सत्ता सूत्र दिल्ली के पास केंद्रित होते जा रहे हैं प्रशासनिक मुखिया के रूप में दिल्ली की पसंद का अधिकारी ही बैठना तय है। इस लिहाज से आईएएस अनुराग जैन की मुख्य सचिव के रूप में मध्य प्रदेश वापसी की पूरी संभावना है।
शिवराज के प्रिय आईएएस मनीष सिंह की ऐसी विदाई के चर्चे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के हटने के बाद प्रदेश में बीत 10 सालों से जारी प्रशासन के बैंस राज खत्म हो गया है। इस परिवर्तन से वे अफसर बड़े खुश हैं जिन्होंने गुजरे सालों में किसी न किसी तरह की प्रताड़ना झेली है। इस खुशी की वजह मुख्यमंत्री मोहन यादव के दो प्रशासनिक फैसले भी हैं।
मुख्यमंत्री यादव ने बड़ी प्रशासनिक सर्जरी का निर्णय तो अभी नहीं लिया है लेकिन उनके दो फैसलों ने कई तरह के संकेत दे दिए है। पहला फैसला सीएम के पीएस यानी मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आईएएस मनीष रस्तोगी को हटाने का है। मनीष रस्तोगी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चौथे कार्यकाल में 3 साल 10 महीने तक उनके प्रमुख सचिव रहे। इस अवधि में मनीष रस्तोगी ने काफी सख्ती से काम किया है और उनकी इस शैली से कई आईएएस सहित छोटे अधिकारियों को प्रताडि़त हुए हैं। नए मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद पीएस मनीष रस्तोगी ने खुद ही हटने की इच्छा जता दी थी। मुख्यमंत्री मोहन यादव के सीएम पद की शपथ लेने के 2 दिन में ही उन्हें हटाकर बिना विभाग का प्रमुख सचिव बना दिया है। उनकी जगह आईएएस राघवेंद्र सिंह को सीएम का पीएस बनाया गया है। राघवेंद्र सिंह का सीएम मोहन यादव के साथ काम करने का पुराना अनुभव है। जब मोहन यादव पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष थे तब राघवेंद्र सिंह निगम के प्रबंध संचालक थे।
आईएएस मनीष रस्तोगी की विदाई से अधिक चर्चा जनसंपर्क आयुक्त आईएएस मनीष सिंह को हटाए जाने की है। इंदौर को स्वच्छता में अव्वल लाने में योगदान देने वाले मनीष सिंह प्रमोटी आईएएस हैं। वे भोपाल निगम आयुक्त, पर्यटन विकास निगम के एमडी, इंदौर निगम आयुक्त, उज्जैन कलेक्टर तथा बाद में इंदौर कलेक्टर रहे हैं। इस दौरान उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सीएस इकबाल सिंह बैंस ने पूरी छूट दी। इस विश्वसनीयता के कारण ही उन्हें चुनाव के कुछ समय पहले जनसंपर्क आयुक्त बनाया गया था। आईएएस मनीष सिंह भी अपनी सख्ती के कारण कुख्यात हुए। इसलिए जब उन्हें हटा कर बिना विभाग मंत्रालय में पदस्थ किया गया तो प्रशासनिक गलियारों में चटकारे लेकर चर्चाएं की गईं। इन दो तबादलों के बाद अब वे सभी अफसर मनचाहे पद की उम्मीद में हैं जो बैंस की नाराजगी के चलते लंबे समय से हाशिए पर हैं।
मनचाही पोस्टिंग के लिए 'मोदी गारंटी’
राज्य की ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। नए मुख्य सचिव और डीजीपी को लेकर मंथन जारी है। मध्य प्रदेश सरकार एक दर्जन से ज्यादा जिलों के कलेक्टर, तीन संभाग के आयुक्त, सहित आईजी, एसपी बदले जाएंगे। सरकार में अपने नंबर बढ़ाने और मनचाही पोस्टिंग पाने के लिए अफसर नए सीएम से कनेक्शन तलाश रहे हैं तो पार्टी में दिल्ली तक संपर्कों को टटोल रहे हैं। कुछ अफसरों ने ‘मोदी की गारंटी’ को अपनी सफलता की कुंजी मान लिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अफसरों के साथ पहली बैठक में इसी मोदी गारंटी को शेयर करते हुए कहा था कि इस पर काम सरकार की प्राथमितकता है। तब से अफसरों में इस गारंटी के अनुसार विभाग की योजना बनाने की होड़ है सरकार की निगाहों में उनकी कद बढ़ सके और उनके हिस्से नई जिम्मेदारी आ जाए।
आसमान से गिरे खजूर में अटके
मध्यप्रदेश में दो आईएएस ऐसे भी हैं जिनकी हालात आसमान से गिरे खजूर में अटके की तरह हो गई है। चुनाव के पहले ये जिलों के कलेक्टर थे लेकिन आचार संहिता लागू होने के बाद इनके कामकाज पर शिकायतें हुई और चुनाव आयोग ने इन्हें हटा दिया था। इन अधिकारियों को भरोसा मिला था कि बीजेपी की सरकार की वापसी पर तुरंत पद पर इनकी वापसी होगी। बीजेपी की सरकार तो आई मुखिया बदल गए। न वे सीएम हैं और न वे सीएस हैं जिनके संरक्षण में ये प्रमोटी आईएएस अधिकारी अब तक काम कर रहे थे। अब ये अधिकारी नए संपर्क की तलाश में हैं ताकि बेहतर नियुक्ति पा सकें।