वैज्ञानिकों ने खोजा नया ग्रह, आकाशगंगा के बाहर धरती से 2 करोड़ 80 लाख प्रकाश वर्ष है दूरी

एस्ट्रोनोमर्स ने मेसियर 51 आकाशगंगा में इस ग्रह को चंद्र एक्स-रे टेलीस्कोप के जरिए खोजा, यह सबसे यंग ग्रह तारे की करता है परिक्रमा

Updated: Oct 27, 2021, 08:04 AM IST

Photo Courtesy : Twitter
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किसी ने क्या खूब कहा है कि सितारों से आगे जहां और भी है, यह महज चंद पंक्तियां नहीं है बल्कि इसे नासा के वैज्ञानिकों ने प्रूव भी किया है। वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा के बाहर पहली बार एक संभावित ग्रह को खोज निकाला है। एस्ट्रोनोमर्स ने मेसियर 51 गैलेक्सी में इस ग्रह का पता लगाया है। इसे यह हमारी गैलेक्सी याने आकाश गंगा के बाहर मिला पहला ग्रह कहा जा रहा है। नासा का कहना है कि यह नया ग्रह करीब दो करोड़ 80 लाख प्रकाश वर्ष दूर है। वैसे अब तक करीब चार हजार एक्सोप्लैनेट खोजे जा चुके हैं। 

 जो खगोलीय रचनाएं तारों की परिक्रमा करती हैं, उन्हें एक्सोप्लैनेट कहा जाता है। अब तक मिले सभी एक्सोप्लैनेट हमारी आकाशगंगा में ही मिले हैं। एक्सोप्लैनेट हमारे ही सूर्य की परिक्रमा करते हैं। अब यह संभावित नया ग्रह हमारी आकाश गंगा से बाहर पाया गया है। जो किसी अन्य तारे की परिक्रमा करता है। इसे सबसे यंग प्लैनेट कहा जा रहा है। फिलहाल वैज्ञानिक इसकी स्टडी में जुटे हैं।  

अब तक खोजे गए एक्सोप्लैनेट के लिए सामान्य तकनीकी का ही यूज किया जाता  रहा है। लेकिन इस बरा नासा के डाक्टर रोसैन डि स्टेफानो और उनकी टीम ने एक्स-रे ब्राइट बाइनरी के रूप में जानी जाने वाली वस्तु से प्राप्त एक्स-रे की चमक में गिरावट को दर्ज किया है। इन वस्तुओं में आमतौर पर एक न्यूट्रॉन स्टार या ब्लैक होल होता है जो निकट से परिक्रमा करने वाले साथी तारे से गैस खींचता है। 

एक्सोप्लैनेट का पता लगाने के लिए नई तकनीक का उपयोग किया गया। एस्ट्रोनाट्स की टीम ने M51-ULS -1 नाम की बाइनरी सिस्टम में एक्सोप्लैनेट का पता लगाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि M51-ULS -1 में एक्सोप्लैनेट शनि ग्रह के आकार का होगा। अमेरिका के कैम्ब्रिज में हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के डॉ. डि स्टेफानो और अध्ययन के शीर्ष प्रमुख ने कहा, हमने जिस प्रणाली को विकसित कर अंजाम दिया है वह वर्तमान में दूसरी आकाशगंगाओं में प्लेनेट सिस्टम की खोज करने के लिए एकमात्र सही तरीका है।