कोरोना के बीच एमपी में जलसंकट

एमपी में कई स्थानों पर 2-3 किलोमीटर दूर से सिर पर ढ़ो कर पानी लाना पड़ रहा है या रात 1-2 बजे जाग कर नलकूप से पानी भरना पड़ रहा है।

Publish: May 01, 2020, 08:58 PM IST

‘हरा समुंदर गोपी चंदन, बोली मेरी मछली कितना पानी...’ बचपन में हम एक पंक्ति गाते हुए खेला करते थे। तब पानी हमारे खेल का हिस्‍सा था अब यह हमारी चिंता का कारण बन गया है। इस बार खूब बारिश हुई है...यह कहते हुए जल संकट की फिक्र रफादफा करने वालों के लिए यह किसी बड़े संकट की तरफ इशारा है कि एमपी में जल संकट की आमद हो चुकी है। खास बात यह है कि यह संकट सूखे के लिए अभिशप्‍त बुंदलेखंड अंचल में ही नहीं है बल्कि पग-पग रोटी, डग-डग नीर के लिए मशहूर मालवा में भी गहरा रहा है। सरकारी आंकड़े अधिकृत रूप से कह रहे हैं कि 45 स्‍थानों पर एक दिन छोड़ कर जल वितरण शुरू कर दिया गया है तो सैकड़ों पंचायतों में नलकूप बंद होने की कगार पर है। सिर पर ढो कर पानी लाने और नगरीय निकाय के टेंकर के आगे कतारों के दृश्‍य आम हो गए हैं।

यह चित्र झाबुआ जिले के वरलीपाड़ा गांव का है। यहां अप्रैल की शुरुआत से ही जल संकट गहरा गया है। पूरे गांव में एक नलकूप है वह भी रूक रूक कर चलता है। जाहिर है पानी लेने के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।

सरकार द्वारा लॉकडाउन में लोगों को घरों से न निकलने एवं जरूरी होने पर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए आवश्यक कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन ग्रामीण अंचलों में पेयजल समस्या के कारण कहीं पर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। कोरोना संकट के समय जब पानी का उपयोग अधिक हो गया है, ऐसे दृश्‍य प्रदेश के हर हिस्‍से में दिखाई देने लगे हैं। बीते कुछ दिनों में मीडिया रिपोर्ट्स में इस संकट को दिखाया गया है। प्रदेश में जल संकट कैसे कदम पसार रहा है इसकी बानगी हैं ये कुछ समाचार :

  • मंदसौर शहर से 5 किमी दूर दौलतपुरा-दाऊदखेडी में पंचायत द्वारा दो दिन छोड़कर 15 मिनट ही पानी दिया जा रहा है। इस कारण महिलाएं-बच्चे 50 फीट गहरी खदान से पानी लाते हैं।
  • रायसेन के वार्ड 13 ताजपुर में लोग पानी के लिए खेतों टयूबवेल या नपा के टैंकर पर निर्भर हैं। ताजपुर मोहल्ले के निवासियों हेमंत सराठे, शैलेंद्र धाकड़, जीतू, संतोष ठाकुर ने बताया कि मोहल्ले में 50 नल कनेक्शनों वाले घरों में पानी नहीं पहुंच रहा है, ऐसी स्थिति में लोगों को गर्मी के मौसम में पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
  • दमोह के ही ग्राम बरखेड़ा नाहर गांव की 1200 आबादी में एकमात्र बोरबोल है। भूजल स्तर गिरने के कारण बोरबेल से ग्रामीणों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है।
  • दमोह जिले की जनपद हटा के ग्राम लखनपुरा में दो बंजारा टोले हैं, जिसमें करीब पांच सौ परिवार निवासरत हैं, लेकिन इन दो टोलों के लिए पानी का सिर्फ एक ही हैंडपंप चालू है। जिस पर पूरे गांव के लोग आश्रित है। ग्राम कलकुया, उदयपुरा, इमझार, बछमा, श्याम सिंगी, मजरा जंगली गांव में भी सिर्फ एक ही हैंडपंप के भरोसे संपूर्ण गांव की जनता पानी के लिए आश्रित है।
  • बैतूल जिले में आदिवासी बाहुल्य ग्राम झीटापाटी में लोग पानी के लिए कुएं पर निर्भर हैं। यहां पानी लेने के लिए सबसे पहले पहुंचने की होड़ लगती है। देरी होने पर कुएं में पानी नहीं बचता है और फिर पानी लेने दो-तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इतनी दूर से पानी लाने से बचने के लिए ग्रामीण आधी रात जागकर कुएं पर पहुंच जाते हैं। गांव में हैंडपंप तो है लेकिन उसमें पर्याप्त पानी नहीं आता। इस हैंडपंप से दो घंटे में एक बाल्‍टी भी पानी नहीं आता है। एक बार बंद होने के बाद पानी आने के लिए एक दो घंटे इंतजार करना पड़ता है।

जलसंकट अपराध का भी कारण

जलसंकट गहराना एमपी में अपराध का भी कारण रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2017 की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2017 में देश में पानी को लेकर हिंसक घटनाओं के 432 मामले दर्ज हुए थे।  ये मामले वर्ष 2018 में बढ़कर 838 हो गए। इस दौरान पानी को लेकर हुए विभिन्न झगड़ों में 92 लोगों की मौत हुई। इनमें गुजरात में हत्या के 18 मामले दर्ज किए गए, जबकि बिहार में 15, महाराष्ट्र में 14, उत्तर प्रदेश में 12, राजस्थान और झारखंड में 10-10, कर्नाटक में 4, पंजाब में 3, तेलंगाना और मध्यप्रदेश में 2-2, तमिलनाडु और दिल्ली में एक-एक मामले दर्ज किए गए। टेंकर या हैण्‍डपंप स‍ेे पानी भरने के दौरान झगड़े तो आम बात हैं।

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सरकार की तैयारी

नगरीय विकास एवं आवास विभाग में जल वितरण योजनाओं के प्रभारी कार्यपालन यंत्री सुरेश सेजकर के अनुसार इस वर्ष अच्‍छी वर्षा से जलाशय और जलस्रोत में काफी पानी है। इस कारण जलसंकट पिछले बरसों जैसा असर तो नहीं दिखाएगा मगर प्रदेश से पानी की समस्‍या बढ़ने की जानकारी आ रही है। नल जल योजनाओं में अभी ही 45 योजनाओं में एक दिन छोड़ कर जल प्रदाय हो रहा है। संकट वाले क्षेत्रों में हरबार की तरह टेंकर द्वारा जल वितरण होगा।

दूसरी तरफ, पंचायतों में नलकूप बंद होने या खराब होने की शिकायतें भी बढ़ रही हैं। लॉकडाउन के कारण इन्‍हें सुधारने का काम भी तेज गति से नहीं चल पा रहा है।

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पानी का संयमित उपयोग जरूरी

कोरोना वायरस के समय जब सभी लोग घरों में है, पानी का उपयोग भी बढ़ा है। ऐसे में यदि दैनिक उपयोग और खास कर हाथ धोते वक्त पानी का उचित ढंग से प्रयोग नहीं किया गया तो शहरों में भी समस्या बढ़ेगी।