विरासत की आभा
बुंदेलखंड में कई किले भारत के स्वाधीनता संग्राम के साक्षी रहे हैं। इसमें से एक है सागर जिले का राहतगढ़ का किला। यह किला हमारी विरासत की आभा की तरह है।
1. बुंदेलखंड के योद्धाओं के शौर्य का प्रतीक
इतिहास में उल्लेख है कि सन् 1857 के विद्रोह के बाद जब ब्रिटिश अधिकारी ह्यूरोज सेना लेकर झांसी की ओर बढ़ रहा था। तब उसका सामना बुंदेलखंड के योद्धाओं से हुआ। शाहगढ़, बानपुर के जवानों ने ह्यूरोज के सैनिकों को कड़ी टक्कर दी। गढ़ाकोटा व सागर पर अधिकार करने के बाद ह्यूरोज का लक्ष्य राहतगढ़ का किला था। इस किले की बनावट सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। किले की बाहरी दीवारों के साथ सुरक्षा चौकियों के अवशेष भी दिखाई देते हैं। पहाड़ी बहुत ऊंची है और किले की बनावट ऐसी है कि आक्रमणकारियों पर दूर से ही निशाना लगाया जा सकता है। किले का दक्षिण किनारा बीना नदी की खाई से लगा हुआ है। इस खाई से होकर किले में प्रवेश कर पाना असंभव सा है।