जी भाईसाहब जी: जहां-जहां एफआईआर वहां-वहां प्रियंका गांधी की रैली का प्‍लान 

MP Politics: मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के अभियान को गति देने के लिए प्रियंका गांधी दो बार मध्‍य प्रदेश आ चुकी हैं। शिवराज सरकार को भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर घेरने के लिए प्रियंका गांधी के दौरों की योजना बनाई जा रही है। दूसरी तरफ, इंदिरा फैलोशिप और Super Shakti She Campaign कांग्रेस को नई ताकत देने की जुगत है।

Updated: Aug 16, 2023, 12:51 AM IST

भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरने की तैयारी 

कांग्रेस के मिशन 2023 को पूरा करने के लिए योजना बनाई जा रही है कि अगले कुछ माह में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी प्रदेश के विभिन्‍न जिलों में दौरे करें। उनके ये दौरे उन 41 जिलों में होंगे जहां बीजेपी ने प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस नेताओं पर एक ट्वीट को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई है। प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार को भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर घेरने के कांग्रेस के अभियान के लिए यह मास्‍टर स्‍ट्रोक कर तरह होगा। 

मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अभियान को गति देने के लिए प्रियंका गांधी दो बार मध्‍य प्रदेश आ चुकी हैं। जबलपुर और ग्‍वालियर दौरे के दौरान उन्‍होंने शिवराज सरकार पर भ्रष्‍टाचार को लेकर सीधे निशाने साधे हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेर ही रही थी कि बीते सप्‍ताह एक पत्र वायरल हुआ। मध्य प्रदेश के कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन नामक संगठन के इस पत्र में आरोप लगाया गया था कि प्रदेश में ठेकेदारों को 50 फीसदी कमीशन देने के लिए मजबूर किया जाता है. यह पत्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखा गया है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इसी पत्र के हवाले से छपी खबर को पोस्‍ट कर बीजेपी सरकार पर 50 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाया. 

इस आरोप से बीजेपी तिलमिला गई. बीजेपी ने प्रियंका गांधी के आरोपों को झूठा बताते हुए, उनके व अन्‍य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ 41 जिलों में एफआईआर करवाई है। बीजेपी इस पत्र तथा इसे लिखने वाले को फर्जी बता रही है। इन एफआईआर के बाद एक वीडियो और वायरल हुआ जिसमें कहा गया कि प्रियंका गांधी को पुलिस पूछताछ के लिए भोपाल आना होगा। पुलिस अभी नोटिस देने जैसी प्रक्रिया पर विचार कर रही है लेकिन कांग्रेस ने भ्रष्‍टाचार पर अपनी आवाज बुलंद करने की तैयारी की है। 

असल में, मध्‍य प्रदेश की सियासत सत्‍य और संदेह के बीच उलझ गई है। कांग्रेस ने भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाते हुए इसे ही शिवराज सरकार का सत्‍य बताया है जबकि बीजेपी ने पूरी कोशिश की है कि कांग्रेस द्वारा प्रस्‍तुत सत्‍य पर संदेह खड़ा किया जाए। एक दल को सत्‍य का साथ चाहिए तो दूसरे को संदेह का फायदा। बीजेपी ने कमीशनखोरी के आरोपों पर ज्‍यादा ताकत से जवाब दिया तो कांग्रेस अपने रूख को और मजबूती से रखने की तैयारी कर रही है। शहर-शहर में प्रदर्शन के अलावा योजना बनाई गई है कि जिन 41 जिलों में एफआईआर की गई है प्रियंका गांधी उन सभी जिलों में जाएगी और बीजेपी के हमलों का जवाब देगी। 

कैडर निर्माण की पहल ‘इंदिरा फेलोशिप’, आधी आबादी को पूरा हक 

कैडर निर्माण के लिए समय समय पर विभिन्‍न कदम उठाने वाली कांग्रेस ने महिलाओं को राजनीति में लाने की एक पहल की है. कांग्रेस ने ‘इंदिरा गांधी फेलोशिप प्रोग्राम’ प्रस्‍तुत किया है। यह राजनीति में आने की इच्‍छुक महिलाओं को प्रशिक्षित करने की पहल है। 

महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को देखते हुए कांग्रेस ने उत्‍तर प्रदेश चुनाव में ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान लांच किया था। अब राजनीति में आने की इच्‍छुक महिलाओं को मंच देने के लिए ‘इंदिरा फैलोशिप’ लांच की गई है। कहा गया है कि 9 माह के इस कार्यक्रम में चयनित महिलाओं को राजनीति, नेतृत्‍व, अभियान संचालन जैसे मुद्दों पर अनुभवी नेताओं से प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा। कांग्रेस और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि आधी आबादी, पूरा हक. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है. क्या आप तैयार हैं? यदि आपको भरोसा है कि आपमें नेता बनने की क्षमता है, तो अभी रजिस्टर करें! https://indirafellowship.in

दूसरी तरफ, युवा कांग्रेस ने मणिपुर की घटना के बाद Super Shakti She Campaign शुरू किया तथा 15 अगस्‍त को महिलाओं के साथ ध्‍वजारोहण किया। यूथ कांग्रेस के बेंगलुरु में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में ‘Super Shakti She’ अभियान की शुरुआत का निर्णय लिया गया था. तय किया गया था कि स्वतंत्रता दिवस पर हर प्रदेश, जिला स्तर और विधानसभा स्तर पर महिला सशक्तिकरण के आयोजन होंगे। इस क्रम में कई क्षेत्रों में यूथ कांग्रेस ने महिलाओं से ध्‍वजारोहण करवाने सहित विविधि आयोजन किए हैं। 

भारत जोड़ो यात्रा में महिलाओं की भागीदारी से उत्‍साहित कांग्रेस को उम्‍मीद है कि उसके ये अभियान राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्‍व तो बढ़ाएगा ही कांग्रेस का महिला वोट प्रतिशत भी बढ़ेगा। 

नारों से दूर होगी नाराजगी?

बीजेपी अपने विधायकों के प्रति कार्यकर्ताओं व जनता में नाराजगी को देखते हुए एमपी में भी ‘यूपी 2018’ फार्मूला लागू करने जा रही है। अमित शाह ने एमपी बीजेपी का पूरा चुनाव अभियान अपने नियंत्रण में ले लिया है। उन्‍होंने नेताओं को जिलास्‍तर पर विभिन्‍न जिम्‍मे‍दारियां प्रदान की हैं। अब शाह से मिले निर्देशों के बाद जिलों में कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का कार्यक्रम तय कर दिया गया है।

योजना है कि 20 अगस्‍त के बाद बीजेपी कार्यकर्ता रोजाना अपने क्षेत्र के 2 मतदाताओं के साथ चाय पिएंगे। इसके अलावा कार्यकर्ता अपने बूथ क्षेत्र में नारे भी लिखेंगे। यह फार्मूला बीजेपी उत्‍तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपना चुकी है। शाह का मानना है कि इन उपायों से कार्यकर्ता सक्रिय होंगे तथा जनता के बीच सरकार की योजनाओं और उसकी सफलता को पहुंचाया जा सकेगा।  

बीजेपी ने अभी टिकट वितरण का फार्मूला तय नहीं किया है लेकिन विधायकों के प्रति उपजी नाराजगी को कम करने के लिए विधायकों को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। लेकिन ये विधायक मध्‍य प्रदेश के बाहर से होंगे। जी हां, बीजेपी ने तय किया है कि दूसरे राज्‍यों के बीजेपी विधायकों को एक-एक विधानसभा का जिम्‍मा दिया जाएगा। वे इन विधानसभा क्षेत्रों में दौरे तथा कार्यकर्ताओं व मतदाताओं से चर्चा कर माहौल बनाने का कार्य करेंगे। 

क्‍या नए जिले आसान करेंगे जीत की राह?

यह मध्‍य प्रदेश का राजनीतिक ट्रेंड बन गया है कि हर चुनाव के पहले नए जिले बनाए जाते हैं और नए जिलों में सत्‍ताधारी दल का प्रत्‍याशी चुना जाता है। इसी सूत्र को थामते हुए शिवराज सरकार ने मिशन 2023 में जीत सुनिश्चित करने के लिए मऊंगज के रूप में 53 वां जिला बना दिया है। विकास यात्रा के लिए क्षेत्र में पहुंचे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्‍जैन के नागदा को नया जिला बनाने की घोषणा की है। इसके लिए प्रक्रिया तेज हो गई है तथा 28 अगस्‍त तक दावे आपत्तियां आमंत्रित कर लिए गए हैं। 

नागदा से कांग्रेस विधायक दिलीप गुर्जर ने कहा है कि बीजेपी 2013 और 2018 में भी यह घोषणा कर चुकी है। उन्‍होंने झुनझुना बजा कर मुख्‍यमंत्री चौहान की घोषणा पर सवाल उठाए हैं। दावे-आपत्तियां आमंत्रित करने पर नए जिले में शामिल होने, न होने को लेकर भी सोशल मीडिया पर विवाद शुरू हो गए हैं। नागदा को जिला बनाए जाने की प्रक्रिया भले ही शुरू हो गई है लेकिन प्रदेश में एक दर्जन क्षेत्रों में नया जिला बनाने की मांग तेज हो गई है। यह मांग सरकार के लिए मुसीबत बन सकती है। 

याद दिला दें कि 2008 में चुनाव से ठीक पहले मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह ने आलीराजपुर और सिंगरौली दो नए जिले बनाए थे। 2013 में भी चुनाव से पहले आगर मालवा नया जिला बनाया गया था। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले निवाड़ी को जिला बनाया गया था। इन क्षेत्रों में बीजेपी को लाभ हुआ था। अब मऊगंज और नागदा की बारी है। सरकार मान रही है कि ये नए जिले उसकी जीत की राह आसान करेंगे।