MP Congress : कमलनाथ तेजी से भर रहे सिंधिया की जगह

MP By election : प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ और प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक नई नियुक्तियों के साथ उपचुनाव की माइक्रो प्‍लानिंग में जुटे

Publish: May 28, 2020, 03:39 AM IST

Photo courtesy : economictimes
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कांग्रेस में अगली पंक्ति के नेता रहे ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के भाजपा में जाने के सवा दो माह बाद अब कांग्रेस में उनकी जगह भरी जाने लगी हैं। कांग्रेस मान रही है कि सिंधिया के जाने से उनके प्रभाव वाले क्षेत्र में संगठन के एक चौथाई कार्यकर्ता उनके साथ जा सकते हैं। इस संभावित क्षति की पूर्ति के लिए संगठन को तेजी से मजबूत किया जा रहा है। कभी महल के आतंक और भेदभाव का शिकार रहे कांग्रेस के मैदानी और कर्मठ कार्यकर्ताओं को र नए सिरे से पार्टी की ताकत बनाया जा रहा है। प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ और एआईसीसी के एमपी प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक इन नई नियुक्तियों के साथ उपचुनाव की माइक्रो प्‍लानिंग करने में जुटे हैं।

कांग्रेस में सिंधिया की हैसियत क्‍या थी यह किसी से छिपा नहीं है। वे कांग्रेस के मुखिया गांधी परिवार में महत्‍वपूर्ण जगह पाते थे और इसी वजह से मध्‍यप्रदेश के संगठन में अलग दबदबे के साथ नजर आते थे। ग्‍वालियर-चंबल क्षेत्र के अलावा मालवा में रियासत के कारण सिंधिया परिवार का असर रहा है। इस कारण इन क्षेत्रों में हर राजनीतिक निर्णय में सिंधिया परिवार की अहम् भूमिका रही है। कुछ समय पहले तक उनके प्रभाव के क्षेत्र में संगठन पर अधिकतर उन्‍हीं के समर्थक काबिज थे। इनमें से कुछ तो तुरंत ही सिंधिया के साथ इस्‍तीफा देकर भाजपा में चले गए हैं। कई नेताओं ने भावनात्‍मक रूप से सिंधिया के साथ होने के बाद भी विचारधारा के रूप में कांग्रेस को ही तवज्‍जो दी है।

दूसरा तथ्‍य यह है कि सिंधिया परिवार के पसंद-नापसंद के अपने पैमाने हैं और जो इन पैमानों पर खरा नहीं उतरा वह इन क्षेत्रों में नजरअंदाज हुआ है। इसी कारण कांग्रेस में ‘महल’ यानि सिंधिया परिवार के प्रति खासी नाराजगी भी रही है मगर सिंधिया परिवार से नाते के चलते संगठन ने हमेशा इस नाराजगी को अधिक जगह नहीं मिली। अब जब सिंधिया अपने मातृ संगठन को छोड़ कर चले गए हैं तो यह नाराजगी खुल कर सामने आ रही है। संगठन में परिवर्तन करते समय इस तथ्‍य को भी ध्‍यान में रखा जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश संगठन को 24 उपचुनावों की तैयारी करनी है। प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ इन दोनों ही मोर्चों पर काम कर रहे हैं। वे एक तरफ तो महाराज का गढ़ कहे जाने वाले ग्‍वालियर, चंबल तथा मालवा क्षेत्र में कांग्रेस, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एनएसआईयू सहित अन्‍य संगठनों में फेरबदल और नियुक्तियां कर संगठन की ताकत बढ़ा रहे है। दूसरी तरफ, अपनी माइक्रो लेवल प्‍लानिंग को लागू करने के लिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रहे हैं। बूथ तक पहुंचने की यह वही योजना है जिसके सहारे कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 साल पुरानी भाजपा सरकार को परास्‍त किया था।

गौरतलब है कि मार्च में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों द्वारा कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस कारण अल्‍पमत में आई कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ ने इस्‍तीफा दे दिया था। अब राज्य में रिक्त हुई 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। कांग्रेस ज़्यादा से ज़्यादा सीटें अपने नाम कर सत्ता में वापस आना चाह रही है। उसी के मद्देनजर सारी तैयारियां हैं। कांग्रेस ने प्रदेश मीडिया विभाग को दायित्व बांट कर उपचुनावों के लिए अपनी कमर कस ली है। जिसके तहत जिन्हें भी आगामी उपचुनावों के मद्देनजर जिन विधानसभा सीटों की देखरेख सौंपी गई है। उन्हें विधानसभा सीट के अंर्तगत कार्य करने वाले सभी प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संपर्क में रहने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। संपर्क बनाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का माध्यम उपयोग में लाने के लिए कहा गया है।

इसके साथ ही प्रदेश में संगठन में सक्रियता बढ़ाने की दृष्टि से कांग्रेस हाईकमान ने मध्य प्रदेश के 11 जिलों के जिला अध्यक्ष व शहर अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। ये वे जिले हैं जहां सिंधिया का असर अधिक माना जाता है। श्‍योपुर में अतुल चौहान, ग्वालियर ग्रामीण में अशोक सिंह, विदिशा कमल सिलकारी, सीहोर में डॉ. बलबीर तोमर, रतलाम सिटी में महेंद्र कटारिया, शिवपुरी में श्रीप्रकाश शर्मा, गुना शहर में मानसिंह परसोड़ा, गुना ग्रामीण में हरी विजयवर्गीय, होशंगाबाद में सत्येंद्र फौजदार, सिंगरौली सिटी में अरविंद सिंह चंदेल और देवास ग्रामीण में अशोक पटेल को अध्‍यक्ष बना कर संगठन में ऊर्जा देने का काम किया गया है। आने वाले कुछ दिनों में ऐसे बड़े परिवर्तन और दिखाई देंगे। कांग्रेस तेजी से कदम बढ़ा रही है।