Doctor's Day : राहुल गांधी ने की कोरोना से लड़ रहे स्वास्थकर्मियों से बात
Rahul Gandhi : भारतीय मूल की विदेशी नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों से बातचीत कर जाना कि वे इस मुश्किल घड़ी में कैसे सेवा और बचाव में लगे हैं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को डॉक्टर्स डे के मौके पर देश और विदेश में काम कर रहे भारतीय नर्सों से बात की और Covid-19 पर उनके अनुभवों को जाना। दुनिया के अलग-अलग जगहों पर मौजूद चार भारतीय स्वास्थ्यकर्मियों से बातचीत के दौरान राहुल ने कहा, 'मुझे लगता है कि सरकारें इस धारणा को मैनेज करने की कोशिश कर रही हैं कि समस्या उतनी भी बुरी नहीं जितनी दिख रही है। लेकिन मेरा मानना है कि हमें समस्या का सामना करना होगा इसलिए हमें समस्या को स्वीकारना चाहिए।'
राहुल गांधी से बातचीत करने वालों में लिवरपूल (इंग्लैंड) से शर्ली, एम्स (दिल्ली) से विपिन (केरल निवासी), ऑस्ट्रेलिया से नरेंद्र सिंह (राजस्थान निवासी) और न्यूज़ीलैंड में कार्यरत अनुरंगत शामिल हैं। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, 'हमें आप पर गर्व है कि आप दुनिया के अलग-अलग देशों में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे हैं। मैं आपसे बातचीत में मैं यह समझना चाहता हूं कि आखिर आप कैसे काम कर रहे हैं और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कोविड-19 पर कैसी प्रतिक्रिया दी जा रही है।' उन्होंने सवाल किया कि दुनियाभर में भारतीय स्वास्थ्य कर्मियों की इतनी इज्जत कैसे है? लोग कहते हैं कि हम भारतीयों के बिना अस्पताल नहीं चला सकते हैं।
6 हफ्तों तक घर नहीं गयीं थी शर्ली
बातचीत के दौरान शर्ली ने बताया कि कोरोना की वजह से वह घर नहीं जा पाती थी। ऐसे में उनके पति घर पर बच्चों की देखभाल करते थे। उन्होंने कहा, 'ब्रिटेन में लोग डॉक्टरों का काफी सम्मान कर रहे हैं। मैं 6 हफ्तों तक घर नहीं गयी थी। पिछले दो हफ्तों से मैं घर पर हूं। सरकार की ओर से व्यवस्था की जा रही है कि अगर कोई डॉक्टर घर ना जाना चाहे तो वो यहां पर ही रुक रहा है। आज दुनिया में भारतीय नर्स हर जगह हैं और आगे आकर लड़ाई लड़ रहे हैं।'
विपिन की शिकायत, राहुल लिखेंगे चिट्ठी
एम्स में कार्यरत विपिन सिंह ने राहुल गांधी से कुव्यवस्थाओं की शिकायत की है। उन्होंने कहा, 'दिल्ली में अबतक दो नर्सों की मौत हो चुकी है लेकिन अबतक दिल्ली सरकार ने 1 करोड़ रुपए नहीं दिए हैं। हम सेना की तरह अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं फिर भी हम जोखिम की श्रेणी में नहीं आते हैं। स्वास्थ्य कर्मियों को भी रिस्क अलाउंस मिलना चाहिए।' राहुल ने इस बात पर उन्हें यथासंभव मदद करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि मामले पर वे सरकार को चिट्ठी लिखेंगे।
टेस्टिंग के दम पर रोका जा सकता है संक्रमण
बातचीत के दौरान नरेंद्र ने कहा कि जब कोरोना ने जान लेना शुरू किया तब सब हैरान थे। इसके बाद हमने विभिन्न मोर्चे पर काम करना शुरू किया। उन्होंने टेस्टिंग पर जोर देते हुए कहा कि इसी के दम पर कोरोना को ट्रैककर संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा, 'अगर प्राइवेट अस्पताल में भी टेस्टिंग नहीं होगी, तो आगे जाकर काफी मुश्किल होगी।'
इस दौरान अनुरंगत ने बताया कि, 'न्यूजीलैंड सरकार ने इस महामारी से निपटने के लिए सख्त रुख अपनाया है जिससे संक्रमण को काफी हद तक काबू किया गया। ऐसा नहीं होने पर ऑकलैंड जैसे भीड़-भाड़ वाली जगह में काफी लोगों की जान जा सकती थी।'
ज्ञात हो कि इसके पहले कोरोना संकट काल के दौरान राहुल ने विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों से बातचीत की है जिसमें अमरीकी डिप्लोमेट व पूर्व विदेश उपमंत्री निकोलस बर्न्स, बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज, ग्लोबल हेल्थ इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर प्रो आशीष झा, कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट स्वीडन के प्रो जोहान गिसीके, आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन व नोबल प्राइज विजेता अभिजीत बनर्जी शामिल हैं।
Watch: In conversation with nurses on the Covid19 crisis. #WeSaluteHealthHeroes https://t.co/FF5B9CHsGt
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 1, 2020