सावन के आखिरी सोमवार उमड़ा आस्था का सैलाब, धूमधाम से निकली बाबा महाकाल की शाही सवारी

चांदी की पालकी में चंद्रमौलीश्वर और हाथी पर विराजकर निकले श्री मनमहेश, पलक पावड़े बिछाए भक्तों ने किए शिवजी के आलौकिक स्वरूप के दर्शन

Updated: Aug 16, 2021, 01:01 PM IST

Photo Courtesy: Naidunia
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उज्जैन। सावन के चौथे और आखिरी सोमवार को बाबा महाकाल की भव्य शाही सवारी निकाली गई। इस मौके पर महाकालेश्वर भगवान चंद्रमौलीश्वर स्वरूप में सवारी चांदी की पालकी में विराजित होकर निकले। वहीं दूसरे स्वरूप में बाबा मनमहेश के रुप में हाथी पर सवार होकर भक्तों को दर्शन दिए।

शाही सवारी का पूरा मार्ग सुंदर फूलों और रंगोलियों से सजा था। इस मौके पर आतिशबाजी भी हुई।  पालकी को तिरंगे के समान तीन रंगों के फूलों से सजाया गया। 

सोमवार शाम परंपरा के अनुसार शाही सवारी निकाली गई। महाकालेश्वर मंदिर पर पारंपरिक गार्ड ऑफ ऑनर के बाद सवारी रामघाट पर पहुंची। जहां पवित्र क्षिप्रा के जल से महाकालेश्वर शिव का अभिषेक किया गया। यहां पूजा के बाद शाही सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धि पाल से होते हुए हरसिद्धि मंदिर पहुंची। इस मंदिर में भी हरसिद्धि माता और बाबा महाकाल की दिव्य आरती हुई। यहां से शाही सवारी बड़ा गणेश मंदिर के रास्ते महाकालेश्वर मंदिर पहुंची।

हर सोमवार की ही तरह इस बार भी उज्जैन के रामघाट पूजा स्थल पर मंदिर प्रबंधन और पुलिस प्रशासन से जुड़े लोग ही मौजूद थे। इस यात्रा में आम लोगों की एंट्री पर बैन लगा था।

वहीं आखिरी सोमवार होने की वजह से सुबह से ही महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों का तांता लगा था। कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए ऑनलाइन पंजियन और कुछ संख्या में ऑफलाइन पंजियन वाले लोगों को भगवान के दर्शन का मौका मिला। शिवभक्तों ने अपने अधीष्ठ महाकालेश्वर शिव के दर्शन कर विश्व कल्याण की प्रार्थना की।

इस मौके पर भस्म आरती के बाद सुबह 5 बजे से ही भक्तों को प्रवेश दे दिया गया था। सोमवार को महाकालेश्वर का दूध, दही, शहद समेत पंचामृत से अभिषेक किया गया। इसके बाद चंदन, भांग, बेलपत्र, कनेर, धतूरा, अकौआ से श्रंगार किया गया। इससे पहले रविवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भगवान का तिरंगा श्रंगार किया गया था। जिसमें हरे नारंगी और सफेद वस्त्र और फूलों का उपयोग किया गया था। अगली शाही सवारी भादों के पहले और दूसरे सोमवार को होगी।