यह एकादशी मोक्षदायिनी है

मोक्ष प्राप्त करने के लिए अनेक धर्मानुष्ठान करने पर भी जो सुनिश्चित नहीं हो पाता, उस मोक्ष को मोक्षदा एकादशी का व्रत करके सहज ही प्राप्त किया जा सकता है

Updated: Dec 26, 2020, 12:12 AM IST

मोक्षदा एकादशी
चौरासी लाख योनियों में भटकता-भटकता जीव मानव शरीर में आकर चतुर्विध पुरुषार्थ का सम्पादन करने में समर्थ होता है।अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष को ही पुरुषार्थ माना जाता है। पुरुषार्थ का अर्थ होता है पुरुष का अर्थ, पुरुष का प्रयोजन। जिसमें पहला है-अर्थ- अर्थात् धन की प्राप्ति। दूसरा है- धर्म-प्रायः मनुष्य अपने जीविकोपार्जन के साथ-साथ इसीलिए धर्म करता है, जिससे उसको धन की प्राप्ति हो जाय और फिर धन के द्वारा वह सांसारिक भोग भोगता है। तीसरा है-काम, -इसमें कुछ बुद्धिमान पुरुष इस बात पर ध्यान देते हैं कि वर्तमान जीवन के पश्चात भी जीवन है और इस शरीर के मृत होने पर भी आत्मा की मृत्यु नहीं होती। यहां की सम्पत्ति मृत्यु के पश्चात साथ नहीं जायेगी। अतः धर्माचरण करके पुण्य अर्जित करना चाहिए, वही हमारे परलोक में सहायक होगा।

इसीलिए धर्म के पश्चात सुख की प्राप्ति के लिए शास्त्र में बताए गए मार्ग पर चलने पर मरणोत्तर भी जीवन है, जिसका ध्यान इस तथ्य पर नहीं जाता वे जीवन में काम्य-विषय भोग के लिए लगे रहते हैं। विरले ही पुरुष निष्काम कर्म से अपने चित्त को निर्मल बनाकर जन्म कर्म के प्रवाह से मुक्त होने के लिए सद्गुरु की शरण में आकर ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।

जिस मोक्ष को प्राप्त करने के लिए अनेक धर्मानुष्ठान करने पर भी मोक्ष सुनिश्चित नहीं हो पाता, उस मोक्ष को मोक्षदा एकादशी का व्रत करके सहज ही प्राप्त किया जा सकता है। अतः मोक्षार्थी को आज की एकादशी का व्रत निश्चित रूप से करना चाहिए।