MP Tourism : जंगल का सैर कराती एक साहसी लड़की

जंगल का सैर कराती दो जाँबाज़- माधुरी ठाकुर और लक्ष्मी मरावी

Publish: Jun 14, 2020, 06:24 AM IST

courtesy : MP Tourism

कान्हा टाइगर रिजर्व पार्क में मुक्की का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। यह पार्क का वह इलाका है जहां सफारी करने वाले टाइगर निहारने आते हैं। माधुरी ठाकुर पार्क के दुर्गम रास्तों में जिप्सी चलाकर पर्यटकों को कान्हा की सैर कराती हैं। 

अलसुबह जब सूरज भी अलसाया सा उदित होने की तैयारी में होता है। उस वक्त अपनी सफारी लेकर कान्हा नेशनल पार्क के सुंदर नजारों के बीच एक साहसी और हिम्मती लड़की पर्यटकों की सेवा में तैयार होती है, उसका नाम है माधुरी ठाकुर। मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क का आदिवासी बहुल इलाका है मुक्की, यह अपने आप में आदिवासी संस्कृति को रचाए बसाए है। यहां की एक निडर और जांबाज बेटी होकर पर्यटकों को अपनी सफारी में घुमाती हैं, जंगली जानवरों के दर्शन करवाती हैं।

दिन की शुरुआत कान्हा नेशनल पार्क के गेट के पास चाय की चुस्कियों के साथ होती है, जहां पुरुष प्रधान भीड़ के बीच दो चेहरे पूरे आत्मविश्वास के साथ खड़े होतें हैं जिनमें एक है फारेस्ट गार्ड लक्ष्मी मरावी और दूसरी सफारी ड्राइवर माधुरी ठाकुर। घड़ी में 6 बजते ही पार्क के गेट खुल जाते हैं, और लक्ष्मी और माधुरी की यात्रा शुरु हो जाती है। माधुरी कुशलता से ड्राइविंग सीट पर बैठती और पर्यटकों को जंगल की सैर करवाती हैं। फॉरेस्ट गार्ड लक्ष्मी मरावी पर्यटकों को जंगल की जानकारी देती है।

3 साल में बढ़ा है आत्मविश्वास

माधुरी ठाकुर एक लाइसेंसधारी ड्राइवर हैं, जो करीब तीन साल से पर्यटकों के रोमांचक सफर की हमराह हैं। साल 2017 में महज 20 साल की उम्र में उन्होंने सफारी ड्राइवर बनने का फैसला लिया। बारहवीं पास माधुरी कान्हा नेशनल पार्क के उबड़खाबड़ रास्तों में गाड़ी ऐसे दौड़ातीं हैं, जैसे पानी पर नाव चल रही हो, एक दम सधी हुई। लेकिन जैसे ही जंगली जानवर दिखाई दे जाए तो माधुरी की ड्राइविंग स्किल देखने लायक होती है। पर्यटकों का रोमांच और फारेस्ट गाइड की जानकारी के बीच माधुरी बड़ी कुशलता से खतरा भांपकर गाड़ी की स्पीड को नियंत्रित करती हैं। जानवरों से दूरी और आक्रमकता भांपने में पल भर भी नहीं लगाती।

• मां ने दी थी सफारी ड्राइवर बनने की परमीशन

माधुरी का कहना है कि जब परिवार के अन्य लोग उनके इस फैसले के खिलाफ थे तब उनकी मां नीलम सिंह ठाकुर ने उनका हौसला बढ़ाया। नीलम जिसने कभी किसी लड़की को स्कूटर तक चलाते हुए नहीं देखा था। उन्होंने अपनी बेटी की काबिलियत देखते हुए पिता को मनाया और माधुरी को ड्राइविंग स्कूल में भेजने का फैसला लिया। माधुरी के पिता रिटायर्ड फॉरेस्ट गार्ड हैं। अपने माता-पिता की प्रेरणा से माधुरी इस पेशे में आई हैं।

चार हफ्ते की कड़ी ट्रेनिंग के बाद माधुरी को पहले टेस्ट ड्राइवर बनाया गया था। माधुरी की मानें तो पहली बार जब उन्होंने टाइगर देखा तो वह घबराई हुई थीं, औऱ अंदाजा नहीं लगा पा रही थीं कि उन्हें टाइगर से कितनी दूर पर सफारी रखनी चाहिए। जंगल में जानवरों को देखकर पर्यटक रोमांचित हो जाते हैं ऐसे में संयमित रहना और अपने काम पर फोकस करना काफी चुनौती पूर्ण होता है। माधुरी की मानें तो शुरुआती दिनों में कई बार उन्हें सीख मिल चुकी है कि यह काम तुम्हारे लिए नहीं है, तुम कुछ और काम कर लो, लेकिन माधुरी ने किसी की नहीं सुनी और हिम्मत के साथ काम में लगी रही।

मुक्की के जंगलों में कभी किसी ने नहीं सोचा था कि कोई महिला यहां गाड़ी चलाएगी । एक आटोमोबाइल कंपनी को केन्डीडेट्स के चयन की जिम्मेदारी दी गई थी। अस्सिटेंट डायरेक्टर एसके खरे की मानें तो जब माधुरी से पूछा गया तो वो सफारी की ड्राइवर बनने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो गई। माधुरी का कहना है कि वह कुछ नया करना चाहती थीं, इसलिए इस चैलेंजिंग करियर को अपनाया। माधुरी का कहना है कि उनकी कद काठी देखकर कई बार लोग कहते हैं कि क्या आप गाड़ी चला लेगीं। आपको लाइसेंस किसने दे दिया। पहले तो वो दुखी हो जाती थीं, लेकिन अब पूरे आत्मविश्वास के साथ माधुरी अपने काम से लोगों की बोलती बंद कर देती हैं। माधुरी की ड्राइविंग स्किल देखकर लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं।

• पिता बने फारेस्ट गाइड और बेटी सफारी ड्राइवर, यादगार था वो सफर

माधुरी ने बताया कि माधुरी की सफलता से उनके पिता भी गौरवान्वित हैं। माधुरी के साथ एक ट्रिप पर उनके पिता ने गाइड के तौर पर काम किया था। वो पल पिता-पुत्री के लिए यादगार पल था। पिता की मौजूदगी में माधुरी ने अपने पर्यटकों को दो टाइगर भी दिखाए थे, जिसे देखकर पर्यटक भी खुश हुए थे। माधुरी के पिता की मानें तो बेटी परिवार की आर्थिक मदद कर रही है।

माधुरी वन्यजीवों के लिए अपने जुनून को और बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। वह एक प्रकृतिवादी बनने की लिए ट्रेनिंग ले रही हैं। उनका कहना है कि "मैं इस जंगल को जानती हूं, लेकिन मैं इसे अब समझना चाहती हूं। नेशनल पार्क प्रबंधन का मानना है कि महिला गाइड और चालकों के साथ कान्हा की सैर करने में महिला पर्यटकों को सहूलियत होती है । उनसे संवाद में सरलता के साथ सुरक्षा का भी भाव होता है । वन्य प्राणियों से जुड़ी जानकारियां महिला गाइड और चालक महिला पर्यटकों को बेझिझक देती नजर आती हैं।

मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क स्थित मुक्की जोन एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है। इलाके की जनजातीय महिलाओं ने रूढ़ियों की जंजीर तोड़कर यहां पुरुषों के पेशे पर अपना कब्जा जमा लिया है। इस नेशनल पार्क में महिलाएं ड्राइवर, गाइड और गार्ड के रूप में मोर्चा संभाल चुकी हैं और वे यहां आने वाले पर्यटकों की मागदर्शक बनी हैं। ये आत्मविश्वासी महिलाएं खुद अपना जीविकोपार्जन कर रही हैं।