Lockdown 4.0 में नर्मदा से रेत की खुली छूट

न तो अवैध खनन लॉक है और न ही रेत का धंधा डाउन, अरुण यादव ने बाकायदा वीडियो जारी कर लगाया आरोप

Publish: May 23, 2020, 07:46 AM IST

File photo                    Photo courtesy : india today
File photo Photo courtesy : india today

देश भर में lockdown 4.0 है। आर्थिक गतिविधियां लगभग शून्य हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन का कारोबार बदस्तूर जारी है। रेत के इस खेल की खासियत है कि आम तौर पर इसे छिपा कर किया जाता था लेकिन आजकल खुलेआम यह धंधा चल रहा है।

लॉक डाउन में उद्योग धंधे बंद होने पर नदियां प्रदूषण से फिलहाल मुक्त हैं। लेकिन अवैध खनन से मुक्त होना शायद नदियों के नसीब में ही नहीं। प्रदेश में भले ही निर्माण कार्य ठप पड़े हों लेकिन रेत का उत्खनन और भंडारण जारी है। मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा के सीने को छलनी करके रेत उत्खनन का काला कारोबार जारी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने बाकायदा वीडियो के जरिये ट्वीट करके शिवराज सरकार पर निशाना साधा है।

 

अरुण यादव ने शिवराजसिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके संरक्षण में पुनः नर्मदा में मशीनों के माध्यम से अवैध रेत उत्खनन व अवैध परिवहन शुरू हो जाने का गंभीर प्रामाणिक आरोप लगाया है।

अपने आरोपों को लेकर यादव ने वीडियो भी जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र से सटे रायसेन जिले के बाड़ी की गोरा मछुराई स्थित रेत खदान में यह कारोबार चल रहा है। मुख्यमंत्री के दो भाइयों और उनके एक सेवानिवृत रिश्तेदार पुलिस अधिकारी यहां खुलेआम रेत का अवैध कारोबार करवा रहे हैं। प्रतिदिन करीब 500 डंपर बिना रॉयल्टी चुकाए लॉक डाउन होने के बावजूद भी इस अवैध कार्य को अंजाम दे रहे हैं। स्थानीय पुलिस,जिला प्रशासन असहाय है।

यादव ने कहा कि प्रदेश में नई रेत उत्खनन नीति के बाद राज्य में खदानों के समूह बनाकर नीलामी की गई थी,जिसमें उक्त खदान भी शामिल है।रायसेन जिले की नर्मदा नदी की रेत खदानों का ठेका किसी राजेन्द्र रघुवंशी की फर्म को मिला है। ठेकेदार व माइनिंग कॉर्पोरेशन के साथ अनुबंध होने के पहले रॉयल्टी जारी नहीं कि जा सकती है। लिहाजा,बिना अनुबंध किये गोरा मछुराई की नर्मदा नदी से प्रतिदिन 500 डंपर अवैध उत्खनन,परिवहन बिना रॉयल्टी चुकाए कैसे, किसके संरक्षण में और किसके द्वारा किया जा रहा है,वह भी लॉक डाउन अवधि में?

यादव ने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के दौरान ही  नर्मदा नदी को जीवित नदी माना गया है। हाल ही में इसी मुद्दे को उठाते हुए कृषि मंत्री कमल पटेल ने भी कलेक्टर होशंगाबाद को लिखे एक पत्र में कहा है कि नर्मदा एक जीवित नदी है। इसलिए इस नदी से अवैध उत्खनन,परिवहन करने वालों के विरुद्ध हत्या का प्रकरण दर्ज हो। आखिरकार क्या कारण है कि यहां मंत्री के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि दो माह पूर्व अपनी विपक्ष की भूमिका में यही शिवराजसिंह चौहान कमलनाथ सरकार के खिलाफ अवैध उत्खनन, परिवहन का आरोप लगा रहे थे। अब उनका अपना परिवार ही अपने उसी अवैध कार्यों में लिप्त होकर "सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का" की तर्ज पर लूट खसोट कर रहा है। यदि इनके ख़िलाफ़ कार्यवाही नहीं हुई तो कांग्रेस लॉक डाउन से राहत मिलते ही सड़क पर उतरेगी।