हादसो से कमजोर होती सैन्य शक्ति

–सुनील तिवारी- भारतीय वायुसेना का आधुनिक मालवाहक जहाज हरक्युलिस सी-130 जे बीते शुक्रवार की दोपहर मध्यप्रदेश और राजस्थान सीमा से सटे रघुनाथपुर गांव के पास गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 4 पायलट के साथ-साथ एक अन्य की भी मौत हो गई। घटनाओं के पैमाने पर देखा जाए तो यह महज एक हादसा ही […]

Publish: Jan 07, 2019, 08:11 PM IST

हादसो से कमजोर होती सैन्य शक्ति
हादसो से कमजोर होती सैन्य शक्ति
- span style= color: #ff0000 font-size: large सुनील तिवारी- /span p style= text-align: justify strong भा /strong रतीय वायुसेना का आधुनिक मालवाहक जहाज हरक्युलिस सी-130 जे बीते शुक्रवार की दोपहर मध्यप्रदेश और राजस्थान सीमा से सटे रघुनाथपुर गांव के पास गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 4 पायलट के साथ-साथ एक अन्य की भी मौत हो गई। घटनाओं के पैमाने पर देखा जाए तो यह महज एक हादसा ही है जो किसी तकनीकी खराबी अथवा किसी दूसरी वजह से हुआ है। लेकिन भारतीय सेनाओं के नजरिए और ट्रैक रिकार्ड पर देखा जाए तो यह दुर्घटना महज एक और हादसा नहीं है बल्कि उस बदहाली और बदइंतजामी का एक और अध्याय है जिसके चलते दुनिया का यह आधुनिक विमान तो तबाह हुआ ही हमारे चार होनहार पायलट भी शहीद हो गए। यह कोई पहला मौका नहीं है। /p p style= text-align: justify पिछले ही दिनों नौसेना की दो पनडुब्बियां एक के बाद एक हादसों की शिकार हो गईं पनडुब्बी के भीतर हुए विस्फोट में सिंधु रक्षक तो पूरी तौर पर ही बर्बाद हो गई। सिंधु रक्षक दुर्घटना में 3 अफसरों समेत 18 नौसैनिकों की जान चली गई। इसकी तुलना में दूसरी पनडुब्बी सिंधु रत्न और उस पर तैनात अफसर और नौसैनिक कुछ ज्यादा भाग्यशाली थे। इस कारण दो ही अफसरों की हादसे में कुर्बानी हुई। अगर यह दोनों साहसी अफसर अपनी जान को जोखिम में डालकर बाकी साथियों को न बचाते तो शायद यह हादसा भी सिंधु रक्षक की तरह ही हो जाता। बीते दिनों वायुसेना से लेकर नौसेना के विमान और पनडुब्बियों में हुए हादसे इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि हमें अपनी फौजी तैयारियों और आधुनिकीकरण के लिए जितना और जैसा करना चाहिए वैसा हम नहीं कर पा रहे हैं। इसका नतीजा यह होता है कि हमारे प्रशिक्षित और पराक्रमी अधिकारी व जवान तो शहीद होते ही हैं वह साजो-सामान उपकरण विमान और पनडुब्बियां भी नष्ट हो जाती हैं जिनका हमारी फौजी तैयारी में बडा अहम मुकाम है। /p p style= text-align: justify ऐसा नहीं कि सेना के भीतर और बाहर से फौजों की तैयारियों आधुनिकीकरण और उपकरणों की देखभाल को लेकर सवाल न उठाए जाते रहे हों। दरअसल सेना की जवाबदारी संभालने वाले रक्षा मंत्रालय के अफसरों को इस बात की बहुत ज्यादा परवाह शायद ही होती है कि सीमाओं की चौकसी करने वाले फौजी किस हाल में हैं। उनके प्रशिक्षण आधुनिकीकरण की क्या योजनाएं हैं। एक नहीं कई बार इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी बहसें खडी हुईं पर नतीजा ढाक के तीन पात की तरह ही रहा। अब भी वक्त है कि हम देश के तौर पर अपनी रक्षा सेनाओं को लेकर संजीदा व संवेदनशील हो जाएं अन्यथा हम सब उस लापरवाही के जवाबदार होंगे जो हमारी फौजों को कमजोर बना रही है। निश्चित रूप से हरक्यूलिस का दुर्घटनाग्रस्त होना सामरिक दष्टि से वायुसेना और देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। इन हादसों का सबसे दुखद पक्ष यह है कि हमें अपने जांबाज जवान और बेहतरीन सैन्य मशीनों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। हरक्यूलिस हादसे में पांच जवानों को शहीद होना पड़ा। यह जांच का विषय होगा कि एयरक्रॉट क्यों और कैसे क्रैश हुआ लेकिन इन हादसों के बाद इस ओर गंभीरता से चिंतन करना जरूरी हो जाता है कि आखिरकार सैन्य आधुनिकीकरण की ओर हम किस रतार से चल रहे हैं। याद होगा कि बीती 26 फरवरी को सिंधुरत्न की दुर्घटना के बाद नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था। अब देखना होगा कि हरक्यूलिस हादसे की गाज किस पर गिरेगी? हरक्यूलिस मालवाहक विमान भारतीय वायुसेना में दो साल पहले ही शामिल हुआ था। इस दिशा में अभी छह और विमान अमेरिका से खरीदे जाने हैं। जरूरी यह हो जाता है कि नई खरीद से पूर्व हादसे की गहराई से ततीश कर ली जाए। हरक्यूलिस विमान में 20 टन के भार के साथ कहीं भी लैंड या टेकऑफ करने सहित कई खूबियां हैं। यह विमान कम ऊंचाई पर उड़ने के साथ-साथ मुश्किल जगहों पर भी सहजता से उड़ सकता है। तमाम खूबियों के बीच हरक्यूलिस विमानों के संचालन के लिए भी खूबियों व दक्षता की जरूरत होती है। अमेरिका से विमान खरीदने के बाद भारतीय वायुसेना के पायलटों और अधिकारियों का एक समूह खासतौर पर इन एयरक्रॉट को संचालित करने की ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेजा गया था। अमेरिकी ट्रेनिंग के बाद भी हरक्यूलिस विमान को हादसे से नहीं बचाया जा सका। गरीबी में आटा गीला की तर्ज पर रक्षा मंत्रालय की संपत्तियां आए दिन दुर्घटना का शिकार हो रही हैं तो दूसरी ओर वित्ता मंत्रालय ने चालू वित्ता वर्ष में रक्षा बजट में सात हजार 800 करोड़ रुपए से अधिक की कटौती की है। पिछले साल भी रक्षा मंत्रालय को देश में आर्थिक नरमी के चलते बजट में 10 000 करोड़ रुपए से अधिक की कटौती करनी पड़ी थी। याद होगा कि पनडुब्बी दुर्घटना मामले में वित्ता मंत्री पी. चिदंबरम खुद ही अपने रक्षा मंत्री एके एंटनी पर हमलावर हो गए थे। चिदंबरम ने आरोप लगाया था कि रक्षा मंत्रालय समझदारी के साथ धन नहीं खर्च कर रहा है। /p p style= text-align: justify सेना की संपत्तियों के रखरखाव की उपेक्षा की जा रही है। ऐसी स्थिति तब है जबकि वित्त मंत्रालय ने रक्षा के लिए 2.25 लाख करोड़ रुपए आवंटित किया है। बहरहाल हालात कुछ भी हों आए दिन होनेवाली इन दुर्घटनाओं से देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी प्रश्नचिन्ह बनकर चुनौती खड़ी हो गई है। /p