Chhattisgarh : कुपोषण में 13.79 प्रतिशत की गिरावट

‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ को मिली बड़ी सफलता, प्रदेश के 67 हजार 889 बच्चे हुए कुपोषण मुक्त 

Publish: Jun 15, 2020, 10:10 AM IST

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार सफलता के नित नए आयाम स्थापित कर रही है। इसी कड़ी में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ और विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है। साल 2019 में किये गये वजन त्यौहार (वेट फेस्टिवल) से मिले आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे। और अब मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं। राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या करीब 13.79 फीसदी कमी आई है। जिसे कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ा मुकाम माना जा रहा है। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की दूरदर्शी सोच को मिली सफलता

कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी का श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व और उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया के मद्देनजर इनसे मुक्ति के लिए अभियान शुरू किया था। राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। इन आंकड़ों के अध्ययन में पता चला कि प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित हैं। जिनमें से अधिकतर बच्चे आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के थे। इसे बघेल सरकार ने एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़’ का संकल्प लेकर कुपोषण दूर करने का अभियान शुरु किया। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में की गई। इस अभियान में जन-समुदाय को भी शामिल किया गया है।

कुपोषित बच्चों, महिलाओं को परोसा गया गरम पौष्टिक खाना

सबसे पहले नक्सल प्रभावित बस्तर, दंतेवाड़ा में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में लइका जतन ठउर जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया। इस सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई थी। इसकी सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अभियान को 2 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में लागू किया। इस अभियान के तहत चुने हुए बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अलावा स्थानीय स्तर फ्री पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है। वहीं एनीमिक महिलाओं को आयरन फोलिक एसिड और बच्चों को कृमिनाशक गोली दी जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास किये जा रहे हैं। ताकि आने वाले 3 साल में पूरा छत्तीसगढ़ कुपोषण से मुक्त हो सके।

कोरोना काल में रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण कोरोना संक्रमण के मद्देनजर आंगनवाड़ी और मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र फिलहाल बंद हैं। ऐसे में बच्चों और महिलाओं का पोषण स्तर बनाए रखने के लिए घर-घर जाकर रेडी टू ईट आहार बांटा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनवाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को रेडी-टू-ईट आहार का वितरण करवाया है। फिलहाल ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ के अंतर्गत हितग्राहियों को सूखा राशन बांटा जा रहा है। इसके तहत मई में तीन लाख 47 हजार हितग्राहियों को सूखा राशन वितरित किया गया है।

विश्वबैंक और यूनिसेफ ने छत्तीसगढ़ में हो रहे प्रयासों को सराहा

छत्तीसगढ़ में आंगनाबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कोरोना नियंत्रण के साथ-साथ टेक होम राशन वितरण की सराहना विश्व बैंक ने की है। आपको बता दें कि एनीमिया स्तर और स्वास्थ्य सुधार के लिए बस्तर जिले में शुरू हुए ‘मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान ‘और स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत ‘किचन गार्डन बागवानी’ को पोषण के लिए अनूठी राह बताते हुए यूनिसेफ ने सराहना की है। छत्तीसगढ़ में क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे सभी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित भवन में ठहराकर उनके टीकाकरण, स्वास्थ्य परीक्षण और दवा का इंतजाम किया है।

कुपोषित बच्चों और महिलाओं की हो रही निःशुल्क काउंसलिंग

कुपोषित बच्चों और महिलाओं की फ्री काउंसलिंग करके उन्हे उचित परामर्श दिया जा रहा है। वहीं सेंवाएं देने के साथ ही उनकी नियमित मॉनिटरिंग भी जारी है। सुपोषण रथ, शिविरों और परिचर्चा के माध्यम से जनजागरूकता के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में छत्तीसगढ़ ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है।