छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ से रायपुर तक दांडी यात्रा, नक्सली हिंसा पीड़ित भी दे रहे शांति का संदेश

12 मार्च से जारी दांडी यात्रा 23 मार्च को होगी समाप्त, रायपुर में हिंसा पीड़ित मंच साझा करेंगे, इस दौरान नक्सल हिंसा समाप्त करने पर चर्चा होगी

Updated: Mar 13, 2021, 06:35 PM IST

रायपुर। महात्मा गांधी के दांडी मार्च की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी दाडी यात्रा जारी है। 390 किलोमीटर की इस पदयात्रा की शुरुआत 12 मार्च को नारायणपुर के अबूझमाड़ से हो चुकी है। यह यात्रा 23 मार्च को रायपुर में पूरी होगी। बस्तर में जारी नक्सली हिंसा को बातचीत के जरिए हल करने की कोशिशों के तहत यह यात्रा की जा रही है। बस्तर में हिंसा से प्रभावित लोग दो दिन तक वहां चर्चा करेंगे। इसमें नक्सली हिंसा से पीड़ित और पुलिस की हिंसा से आहत दोनों पक्षों को एक ही मंच पर अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। इसमें विचार किया जाएगा कि कैसे पुरानी दुश्मनी को भूलकर इसे चर्चा और शांति से रोका जाए।

 इस बारे में शुभ्रांशु चौधरी का कहना है कि इस दांडी यात्रा का लक्ष्य है कि इसके जरिए सरकार और नक्सलियों संदेश दिया जाए कि जब हिंसा पीड़ित लोग साथ आकर समस्या का समाधान करने को तैयार हैं। ऐसे में नक्सलियों और सरकार को भी साथ आना चाहिए। यह दांड़ी यात्रा 390 किलोमीटर की है।

मध्य भारत में शांति के लिए नई शांति प्रक्रिया के तहत दांडी यात्रा 2.0 शुरू जारी है। दरअसल नारायणपुर को नक्सल का औऱ रायपुर को सरकार का मुख्यालय कहा जाता है। इसलिए दांडी यात्रा नारायणपुर से शुरू की गई है, और राजधानी रायपुर में ख़त्म होगी। दांडी यात्रा का लक्ष्य सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच कभी न खत्म होने वाली लड़ाई को रोकना हैं। इस यात्रा में शामिल लोग परंपरागत वेशभूषा में नजर आए।

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गौरतलब है कि भारत में पहली बार विक्टिम्स रजिस्टर तैयार किया गया है। जिसमें छत्तीसगढ के हिंसा पीड़ितों ने अपनी आपबीती दर्ज करवाई है। हिंसा पीड़ितों का रजिस्टर्ड रिकॉर्ड रखने के लिए ‘बस्तर की पीड़ा पीड़ितों की जुबानी’ मुहिम चलाई गई है। जिसके तहत हिंसा पीड़ित व्यक्ति या उनसे जुड़े लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं।