तेजी से देश छोड़ रहे भारतीय अमीर, इस साल 8 हजार भारतीयों के देश छोड़ने का दावा

अपने परिजनों के लिए बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं सहित उच्च जीवन स्तर के लिए पलायन कर रहे भारतीय अमीर, कोरोना काल के बाद बढ़ा ट्रेंड

Updated: Jun 14, 2022, 04:12 PM IST

नई दिल्ली। भारत छोड़कर दूसरे देशों में बस रहे अरबपतियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। एक रिपोर्ट का अनुमान है कि इस साल तकरीबन 8 हजार अमीर भारतीय देश छोड़कर दूसरे मुल्क में जाकर बस सकते हैं। हेनले ग्लोबल सिटीजन की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अपने परिजनों के लिए बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं सहित उच्च जीवन स्तर के लिए भारत के अमीर लोग पलायन कर रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल के बाद यह ट्रेंड और भी बढ़ा है। तकनीक की दुनिया में उभर रहे नए उद्यमी तेजी से वैश्विक व्यापार और निवेश के अवसरों की तलाश में दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। खेतान एंड कंपनी में पार्टनर बिजल अजिंकी ने कहा, 'कड़े टैक्स नियमों के साथ ही वीजा-मुक्त यात्रा की इच्छा भी इसके कारण हैं।'

भारतीय लोग जिन देशों को रहने की बेहतर जगह मानते हैं उनमें सबसे अव्वल है सिंगापुर.. इसके अलावा वे यूरोप व दुबई को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों के लिए सिंगापुर सबसे पसंदीदा देश है। वहीं मजबूत कानूनी प्रणाली और विश्वस्तरीय आर्थिक सलाहकारों की उपलब्धता के कारण पारिवारिक कार्यालय स्थापित करने के लिए दुबई बेहतर विकल्प माना जा रहा है। यूरोप और खासतौर से भूमध्यसागरीय देशों जैसे पुर्तगाल, माल्टा और ग्रीस की ओर रुख करने वालों की संख्या बेहद सीमित है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आकर रहनेवाले सुपर रिच लोगों की संख्या यहां से विस्थापित होनेवालों के मुकाबले कम है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में हर साल करोड़पतियों की संख्या में इजाफा हो रहा है, इसलिए इसे लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। बल्कि इस बात की उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत का जीवनस्तर और बेहतर होने के बाद भारत में समृद्ध व्यक्तियों की वापसी बढ़ेगी।

न्यू वर्ल्ड वेल्थ में अनुसंधान प्रमुख एंड्रयू एमोइल्स ने कहा हम उम्मीद करते हैं कि 2031 तक हाई नेटवर्थ वाले कारोबारियों की आबादी में 80% की वृद्धि होगी, जो इस दौरान भारत को दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते कैपिटल मार्केट में से एक बना देगा। स्थानीय वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य देखभाल और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में मजबूत विकास से तेजी मिलेगी। 

हेनले ग्लोबल, विश्वस्तर पर निजी धन और निवेश प्रवासन प्रवृत्तियों को ट्रैक करता है। इसकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आने वाले सालों में भारत में अमेरिकी डॉलर वाले मिलियनेयर और बिलियनेयर की संख्या यूरोपीय देशों की तुलना में बढ़ेगी। अगले 10 सालों को लेकर अनुमान जताया गया है कि भारत में 80 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जबकि अमेरिका में केवल 20 फीसदी और फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूके में 10 फीसदी की वृद्धि होगी।