BSNL को बेच रही सरकार, घाटे में चल रहे वोडाफोन आइडिया की लेगी हिस्सेदारी
केंद्र सरकार ने वोडाफोन आइडिया के 16 हजार करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है, जो कंपनी में 35.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर होगा, निवेशकों में निगेटिव रेस्पॉन्स
नई दिल्ली। केंद्र सरकार एक तरफ बीएसएनएल जैसी प्रतिष्ठित दूरसंचार कंपनी को बेच रही है, दूसरी ओर घाटे में चल रहे वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी ले रही है। सरकार ने वोडाफोन आइडिया के 16 हजार करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है, जो कंपनी में 35.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर होगा। केंद्र के इस फैसले पर निवेशकों ने निगेटिव रिस्पॉन्स दिया है जिसका असर कंपनी के शेयर्स पर पड़ा है।
दरअसल, वोडाफोन आइडिया पर इस समय 1.95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। घाटे में चल रही यह कंपनी कर्ज चुका पाने में सक्षम नहीं है। इसलिए कंपनी ने ब्याज बकाया के रूप में सरकार को इक्विटी देने का हथकंडा अपनाया है। वोडाफोन आइडिया ने शेयर बाजार को बताया की कंपनी के डायरेक्टर्स ने 10 जनवरी 2022 को हुई बैठक में, स्पेक्ट्रम नीलामी किस्तों और एजीआर बकाया से संबंधित कुल ब्याज देनदारी को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दी है। कंपनी के अनुमानों के मुताबिक इस देनदारी का NPV लगभग 16 हजार करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जिसकी पुष्टि दूरसंचार विभाग द्वारा की जानी है।
कंपनी ने बताया कि इस योजना के पूर्ण होते ही वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी 35.8 फीसदी के आसपास हो जाएगी, जबकि करीब 28.5 प्रतिशत (वोडाफोन समूह) और 17.8 प्रतिशत (आदित्य बिड़ला समूह) रह जाएगी। यानी भारत सरकार इस कंपनी की सबसे बड़ी हिस्सेदार हो जाएगी। निवेशकों की ओर से इस पहल का नकारात्मक रिस्पॉन्स देखने को मिल रहा है। इसका असर मंगलवार को शेयर मार्केट में दिखा जब वोडाफोन आइडिया के शेयर में 19 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई।