मोदी सरकार के तोहफों के साथ लें नए साल का आनंद, बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी पर पी चिदंबरम का तंज
चिदंबरम ने कहा कि थोक महंगाई दर 30 साल के अपने उच्चतम स्तर पर है, दिसंबर महीने में यह 14.23 फ़ीसदी पर पहुँच गई है, इसी तरह शहरी बेरोज़गारी भी दस फ़ीसदी से ऊपर है.. बैंकों ने 13 करोड़पतियों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए लाखों करोड़ का बैड लोन माफ़ कर दिया है..

नई दिल्ली।देश में बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी के ने आंकड़ों ने विपक्ष को आक्रामक होने के लिए नई उर्जा दे दी है। आंकड़े भी इतने विशाल हैं कि इसमें पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है। नवंबर- दिसंबर के आे ताज़ा आर्थिक आंकड़ों ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है कि दस फीसदी बेरोजगारी और चौदह फीसदी से ज्यादा थोक महंगाई दर का आंकड़ा लोगों का नया साल खराब करने के लिए काफी है। हालांकि व्यंग्य में उन्होंने इन आंकड़ों के साथ नए साल के स्वागत करने पर तंज़ कसा है।
चिदंबरम ने आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार का लेखाजोखा पेश करते हुए कहा है कि साल के अंत में मोदी सरकार द्वारा दिए गए तोहफों का आनंद लें और देखें कि आप कहां किस पायदान पर हैं। चिदंबरम ने देश में बढ़ती बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और सार्वजनिक बैंकों को हो रहे घाटे को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। दिसंबर में थोक महंगाई का आंकड़ा आसमान छू रहा है। अब तक का सर्वोच्च रिकॉर्ड बनाते हुए यह 14.23 फीसदी पर पहुंच गया है। इसी तरह शहरी बेरोजगारी भी दस फीसदी के दर को पार कर गई है।
कांग्रेस नेता ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि इस वक्त खुदरा मुद्रास्फीति 4.91 फीसदी है। जिसमें ईंधन और रोशनी की मुद्रास्फीति 13.4 फीसदी है। इसके साथ ही इस समय बेरोजगारी दर 8.53 फीसदी है, जिसमें शहरी बेरोजगारी दर 10.09 फीसदी है।
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3. Banks have written off bad loans of Rs 2,02,783 crore in 2020-21.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) December 14, 2021
4. Public sector banks have settled loans of Rs 4,86,800 crore due from 13 corporates for Rs 1,61,820 crore. The loss to PSBs is only Rs 2,84,980 crore.
कांग्रेस नेता ने बताया कि 2020-21 में बैंकों ने लगभग 2 लाख दो हजार 783 करोड़ रुपए के कर्ज माफ किए हैं। वहीं सार्वजनिक बैंकों ने तेरह कॉरपोरेट्स पर बकाया 4.86 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का 1 लाख 61 हजार 820 करोड़ में निपटारा कर दिया। इसके लिए सार्वजनिक बैंकों ने 2 लाख 84 हजार करोड़ से अधिक का घाटा उठाया उठाया।
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पी चिदंबरम लगातार आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार की विफल नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहते हैं। चिदंबरम के साथ साथ खुद बीजेपी के ही नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी मोदी सरकार की नीतियों की अमूमन आलोचना करते नजर आते हैं। अपने एक हालिया बयान में सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को घमंडी करार देते हुए यह कह डाला था कि दोनों को ही अर्थशास्त्र की तनिक भी समझ नहीं है। दोनों ही किसी से सलाह मशविरा करने की जहमत नहीं उठाते। जिस वजह से देश की अर्थव्यवस्था बर्बादी की अवस्था में पहुंच गयी है।