Viral Acharya: इस्तीफा देना मतलब सरकार से असहमति

RBI: रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने आरबीआई की स्वात्तता बचाने के लिए दिया था इस्तीफा

Updated: Aug 06, 2020, 02:40 AM IST

Pic: Indian Express
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नई दिल्ली। रिजर्ब बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा रघुराम राजन, उर्जित पटेल, अरविंद सुब्रमण्यम और उनका अपने पदों से इस्तीफा देना असहमति की आवाज के रूप में देखा जाना चाहिए। ये कदम एक संस्था के तौर पर आरबीआई की स्वायत्ता और संस्थाओं को बचाने के लिए उठाए गए।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि पिछले दशक में सरकार के साथ रणनीतिक रूप से काम करने वाले केंद्रीय बैंकरों ने बेहतर परिणाम नहीं दिए। विरल आचार्य ने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के तौर पर अपना कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले ही जुलाई, 2019 में इस्तीफा दे दिया था।

विरल आचार्य ने कहा, “हमें इस्तीफों को एक समस्या की तरह ना देखकर एक ऐसी आवाज के रूप में देखना चाहिए जो व्यवस्था के सही ढंग से काम करने के लिए जरूरी है। मेरे हिसाब से सरकार और ब्यूरोक्रेसी अभी भी पुराने तरीकों से काम कर रही है, जबकि राष्ट्रीयकृत अर्थव्यवस्था का दौर अब खत्म हो गया है। सरकार को बाजार आधारित अर्थव्यवस्था को लेकर और अधिक सकारात्मक होने की जरूरत है।”

विरल आचार्य ने हाल ही में एक किताब लिखी है। यह किताब उनके विभिन्न भाषणों पर आधारित है। इस किताब ने रिजर्व बैंक की स्वायत्ता को लेकर एक बहस छेड़ दी है। विरल आचार्य पर सरकार के साथ अच्छे तरीके संवाद स्थापित ना करने के आरोप लगे हैं। इन आरोपों पर उन्होंने कहा, “जो लोग यह आरोप लगाते हैं वो क्या यह बता सकते हैं कि जब सब चीजें सही ढंग से हो रही थीं तब क्या हम सही ढंग से संवाद स्थापित नहीं कर रहे थे। क्या उनके पास इस आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूत हैं।”

विरल आचार्य के अनुसार सरकार और आरबीआई के बीच इसलिए मतभेद शुरू हुए क्योंकि सरकार कम समय की वृद्धि के लिए लिक्विडिटी और क्रेडिट टैप को खोलना चाहती थी, इससे लंबे समय की आर्थिक वृद्धि और स्थाई अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्रभावित होता। उन्होंने कहा, “आखिर हम कोरोना के इस संकटग्रस्त समय में जरूरी खर्च नहीं कर पा रहे हैं। मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि सरकार से असहमति जताने वाले गलत होते हैं।”

विरल आचार्य ने जुलाई 2019 में अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले इस्तीफा दे दिया था। वहीं उर्जित पटेल ने 10 दिसंबर 2018 को रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा होने के 10 महीने पहले इस्तीफा दे दिया था। इसी तरह रघुराम राजन ने कार्यकाल पूरा होने के तीन महीने पहले चार सितंबर 2016 को इस्तीफा दे दिया था।